राजधानी में चल रही अवैध डेरियों के संचालकों का पौवा इतना तगड़ा है कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगर नगर निगम अभियान चलाके भैंस पकड़े तो डेयरी संचालक मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन करवाकर दबाव बना रहे हैं। शहरवासी भैंस पकड़ने के लिए नगर निगम पर दबाव बना रहे हैं तो दूसरी तरफ डेयरी संचालकों के पक्ष में एक वर्ग खड़ा हो गया है। नगर निगम में आ रहे प्रभावशाली फोन से अधिकारी भी भयभीत हैं।
एसडीएम से लेकर पंचम तल से अधिकारी छोड़ने का बना रहे दबाव
ट्रांसपोर्टनगर से 27 भैंस पकड़ी गईं तो दूसरे जिले में तैनात एक एसडीएम से लेकर पंचम तल पर तैनात एक अधिकारी ने भी बिना जुर्माना भरे भैंसों को छोड़ने का दबाव बनाया। एक भैंस का जुर्माना दस हजार रुपये होने से उसे ऐसे ही छोड़ने की जुगाड़ डेयरी संचालक लगा रहे हैं।
दस हजार रुपये का तय है जुर्माना
नगर निगम ने कुछ माह पूर्व डेयरियों और आवारा पशुओं पर लगाम लगाने के लिए दस हजार का जुर्माना तय किया था और लेट फीस एक हजार प्रतिदिन रखा था। नगर निगम ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई भी की और कई लाख जुर्माना भी वसूला, लेकिन अब इसका विरोध होने लगा है। डेयरी संचालक के खिलाफ कार्रवाई और भैंस न छोड़े जाने से नाराज एक पूर्व पार्षद ने नगर निगम के घेराव की चेतावनी दे दी है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
नगर निगम के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अरविंद राव ने बताया कि जुर्माना राशि बढ़ने से कई डेयरी संचालक आबादी से बाहर चले गए हैं, लेकिन कुछ लोग कार्रवाई में बाधा बन रहे हैं और अपने प्रभाव से बिना जुर्माना के ही पकड़े गए पशु छुडवाने का दबाव बनाते हैं।