उत्तर प्रदेश सूचना आयोग ने संस्कृति विभाग के जन सूचना अधिकारी को यश भारती पुरस्कारों से सम्बंधित सूचना नहीं देने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।

अप्रैल 2017 में एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर ने यश भारती पुरस्कारों से सम्मानित लोगों को पेंशन दिए जाने के लिए बनायीं गयी नियमावली से सम्बंधित पत्रावली मांगी थी। सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने मामले में सुनवाई करते हुए जन सूचना अधिकारी को नूतन को समस्त पत्रावली दिखाने के आदेश दिए थे लेकिन इसके बाद भी विभाग द्वारा पत्रावली नहीं दिखाई जा रही थी, जिस पर यह जुर्माना लगाया। नूतन के अनुसार विभाग जानबूझ कर पत्रावली नहीं दिखा रहा है क्योंकि इससे उसके द्वारा पेंशन देने में गयी अनियमिताएं सामने आ जाएँगी।

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केंद्र द्वारा बोफोर्स एसएलपी पर पत्रावली देने से मना

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), भारत सरकार ने बोफोर्स मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर किये गए एसएलपी के सम्बन्ध में सूचना देने से मना कर दिया है। एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने 12-वर्ष पूर्व दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट में दी गयी चुनती तथा अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल द्वारा एसएलपी दायर नहीं करने के सम्बन्ध में डीओपीटी को दी गयी राय से सम्बंधित अभिलेख मांगे थे।

अनु सचिव एल पी शर्मा द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार यह प्रकरण आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(e) में निर्बन्धित है, साथ ही इस पत्रावली में सीबीआई द्वारा दी गयी राय भी है, जो धारा 24 में आरटीआई एक्ट के बाहर है, अतः यह सूचना नहीं दी जा सकती। नूतन ने कहा कि आरटीआई एक्ट में सीबीआई बाहर है, डीओपीटी नहीं. साथ ही शासकीय अधिवक्ता द्वारा दी गयी राय वैश्वासिक सम्बन्ध में दी गयी सूचना नहीं मानी जायेगी, अतः वे इस मनाही को चुनौती देंगी।

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