निर्वाचन आयोग 58 सीटों के लिए राज्यसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर चुका है. अप्रैल और मई में खाली होने वाली राज्यसभा की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को द्विवार्षिक चुनाव होगा. इन चुनावों के बाद बीजेपी को उम्मीद है कि ऊपरी सदन में ‘कामकाजी बहुमत’ प्राप्त हो जायेगा, अभी एनडीए का उच्च सदन में बहुमत नहीं है. ऐसे में केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए को उम्मीद है कि उच्च सदन में राजग के सदस्यों की संख्या में वृद्धि होगी. यूपी में बीजेपी के सामने बड़ी मुश्किल है और बड़े नामों का टोटा भी. बीजेपी में जीवन खपा चुके लोगों को एडजस्ट करने के मूड में आलाकमान है और इस लिहाज से कई राष्ट्रीय नेताओं को यूपी कोटे से सांसद बनाना चाहती है. बीजेपी डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी टिकट लगभग तय माना जा रहा है.
कई राष्ट्रीय नेता बनेंगे यूपी से सांसद
भारतीय जनता पार्टी को यूपी में बहुत फायदा मिलने की उम्मीद है. 325 के ऐतिहासिक जीत का आंकड़ा छूने वाली पार्टी 10 सीटों में से 8 सीटें जीतने की उम्मीद पाल रखी है. गौरतलब है कि साल 2014 के चुनावों में अपना दल और सुहेलदेव समाज पार्टी के साथ मिलकर बीजेपी ने 80 में से 73 सीटें जीती थीं. बड़ा सवाल यह है कि पार्टी किसे मैदान में उतारेगी? सूत्रों की मानें तो मनोहर पर्रिकर के इस्तीफे के बाद पार्टी यहां से बड़े नामों की तलाश कर रही है. मनोहर यूपी से ही उच्च सदन गए थे लेकिन गोवा के सीएम बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. पार्टी उच्च सदन के लिए स्थानीय नेताओं के नाम पर विचार कर सकती है.
कटेगा विनय कटियार का पत्ता
बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनय कटियार का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है. सूत्रों का दावा है कि उनको अगला कार्यकाल नहीं मिलेगा. महासचिव अरुण सिंह और अनिल जैन, प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री, पिछड़ी जाति के सेल लीडर रमेश चंद्र रतन, अन्य पिछड़ा वर्ग मोर्चा के मुखिया दारा सिंह चौहान सरीखे नेता सूबे से राज्यसभा चुनाव की रेस में अहम उम्मीदवार हैं. पिछले कई बरसों से मीडिया की जिम्मेदारी संभाल रहे हरीश चंद्र श्रीवास्तव, डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी, कार्यालय प्रभारी भारत दीक्षित और चौधरी लक्ष्मण सिंह का नाम भी रेस में शामिल है. पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों का मानना है कि अपना पूरा जीवन पार्टी के लिए समर्पित कर चुके इन नेताओं को भी चांस मिलना चाहिए.
बताते चलें कि अरुण सिंह सीए हैं और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के रिश्तेदार हैं.अनिल जैन गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट हैं और पिछले साल ही उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट की पेशकश की थी, लेकिन बाद में मना कर दिया. रतन बसपा के संस्थापक सदस्यों में से हैं और साल 2008 में भाजपा में आ गए थे. चौहान भी पहले हाथी खेमे में थे, जिन्होंने वर्ष 2015 में कमल का दामन थामा. वहीं, शास्त्री राष्ट्रीय पिछड़ा जाति आयोग के पूर्व चेयरपर्सन और पूर्व सांसद रह चुके हैं.
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