आज के दौर में एक प्रथा सी फैल गई है कि अगर सरकार मांगे ना माने तो सीएम आवास या विधानसभा पर आत्मदाह का प्रयास कर लिया जाये, पानी की टंकी पर चढ़कर कूदकर जान देने की धमकी दी जाये या फिर रोड जाम कर उग्र प्रदर्शन किया जाये जिससे पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़े और मीडिया कवरेज कर ले ताकि उनकी आवाज सीएम और जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुँच जाये। ऐसा ही नजारा एक बार फिर राजधानी लखनऊ में देखने को मिला।
इस बार परिवहन मुख्यालय में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब यहां बनी पानी की टंकी पर उत्तर प्रदेश रोडवेज संविदा कर्मचारी संघ के बैनर तले पिछले कई दिनों ने अपनी मांगों को लेकर धरना और आमरण अनशन कर रहे कई प्रदर्शनकारी चढ़कर हंगामा कर नीचे कूदने की धमकी देने लगे। टंकी पर चढ़ने की सूचना मिलते ही विभाग में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में सूचना पाकर पुलिस और जिम्मेदार अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को घंटों मनाने का प्रयास किया, लेकिन वह नीचे उतरने को एकदम तैयार नहीं थे। पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद सभी को आश्वासन देकर उन्हें नीचे उतरा। तब जाकर पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों ने राहत की सांस ली।
रोडवेज के संविदा कर्मचारी पिछले कई दिनों से कर रहे आमरण अनशन
गौरतलब है कि सड़क परिवहन के संविदा कर्मचारी आमरण अनशन कर धरने पर बैठे है। रोडवेज संविदा कर्चारियों ने परिवहन निगम के मुख्यालय के बाहर डेरा जमा रखा है। बड़ी संख्या में एकत्र हुए रोडवेज संविदा कर्मचारी सेवा से हटाए जाने, नई नियुक्तियों सहित कई मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे है। मांगे ना पूरी होने पर ये प्रदर्शनकारी रोडवेज संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष होमेंद्र मिश्रा की अगुवाई में आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। होमेंद्र मिश्रा ने बताया कि अपनी 3 मांगों को लेकर वे धरने पर बैठे हैं, लेकिन परिवहन मंत्री को उनका आमरण अनशन दिखाई नहीं देता।
संविदा कर्मचारियों की मांगे
➡सेवा से हटायें गये समस्त संविदा परिचालकों की पूर्व में जमा सेक्योरिटी राशि पर ही बिना शर्त बहाली का सामूहिक आदेश मुख्यालय स्तर से जारी किया जाये।
➡बिना आरोप सिद्ध हुये किसी भी संविदा कर्मी कि सेवा समाप्त ना किये जाने का आदेश जारी किया जाएँ।
➡जब तक संविदाकर्मियों की बाहली पर मुख्यालय द्वारा अंतिम निर्णय ना हो जाए, तब तक किसी भी प्रकार की भर्ती/ संविदा भर्ती पूरी तरह प्रतिबंधित की जाएँ। बता दें कि कर्मचारियों ने इसको लेकर उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन को मांग पत्र भी दिया हैं। जिसमे उन्होंने संविदाकर्मियों को सेवा से हटाये जाने और क्षेत्रीय प्रबंधकों द्वारा भेदभाव किये जाने की शिकायत भी की। इसके अलावा उन्होंने इस बारे में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री और परिवहन निगम के सचिव को भी मांग पत्र देकर सूचित किया है।
संविदाकर्मचारियों ने मांग पत्र में यह भी आरोप लगाया कि संविदाकर्मियों पर दबाव बनाने के लिए उनकी संविदा समाप्त की जाती है, ताकि श्रमिक अधिकारों की मांग ना करें। उन्होंने यह भी बताया कि परिचालकों को बिना टिकेट यात्रा करने का आरोप लगा कर सेवा से हटा दिया जाता हैं। जो कि पूरी तरीके से निराधार हैं। इसी के साथ उन्होंने अपने साथ हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हुए मांगों को पूरी करने की अपील की हैं। आपको बता दें परिवहन निगम कार्यालय पर पिछले 10 दिनों से रोडवेज संविदा कर्मियों का बहाली मांग को लेकर धरना प्रदर्शन जारी है।
मांगे पूरी होते ना देख रोडवेज संविदा कर्मचारियों ने पिछले 4 दिनों से धरना प्रदर्शन को आमरण अनशन में बदल दिया जिसमे तीन लोगो की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें इलाज के लिए बलरामपुर हॉस्पिटल ले जाया जा चुका है। बता दें कि अनशन पर बैठे साथियों की हालत बिगड़ती जा रही है और पूरा का पूरा प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। अपनी मांगों को पूरा कराने के उद्देश्य से आगे कहा हमारा प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक मांगे पूरी नहीं हो जाती और कहां जल्दी ही परिवहन निगम प्रशासन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है तो रोडवेज संविदा कर्मचारी भारी संख्या में एकत्र होकर सड़कों पर उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा।