एक तरफ़ जहां पर मुल्क हलाला, तीन तलाक और न जाने किन किन मुद्दों पर आपस मे लड़ रहा है.  वहीं लखनऊ की कुछ महिलाएं अकेले ही इस बार हज यात्रा पर जा रहीं हैं.  बता दें कि सऊदी अरब ने अपने कानून में बदलाव किया है कि अब महिलाएं भी अपने 4 लोगों के ग्रुप में हज करने जा सकती हैं.

उन्हें अब किसी पुरुष के साथ जाना जरूरी नहीं है. पहले हज पर जाने के लिए मेहरम (पुरुष) जरूरी था.

लेकिन इस नए नियम के बाद अब उन महिलाओं में खुशी की लहर है जो अकेली हैं या उनके साथ जाने के लिए कोई पुरुष नहीं है.

शमीम बनो ने जाहिर की हज जाने की ख़ुशी:

हज पर जाने वाली शमीम बनो (56) से जब बात की तो उनकी आंखों में अंशू आ गए कि जब मैंने अपने परिवार भाइयों को बताया कि मैं हज को जा रही हूं,

तो मेरे भाई नाराज़ हो गए और मुझे बोलने लगे महिला हो अकेली कैसे जाओगे महिलाएं अकेले नहीं जाती हैं.

फालतू पैसा है क्या तुम्हारे पास लुटाने का तो जाओ लुटाओ लेकिन शमीम ने कहा कि अल्लाह की रहमत है मुझ पर मैं हज पर ज़रूर जाऊँगी.

शमीम कहती हैं कि हज में जाने से पहले मैंने अपने सभी पास पड़ोस रिश्तेदारों से अपने सारे गिले शिकवे दूर कर लेना चाहती हूं.

क्योंकि अल्लाह उस नबी के घर में जाने से पहले कोई भी नाराज़गी किसी की साथ न ले जाऊं.

हम अल्लाह को राज़ी और खुश करने जा रहे हैं.  हम किसी का गुस्सा नाराज़गी मनमुटाव लेकर नही जा सकते.

हम सारी नाराज़गी दूर करके ही अल्लाह को राज़ी करने जाएं तो बेहतर होगा.

लखनऊ की 4 महिलायें अकेले जाएंगी हज पर:

इस साल हज पर महिलाओं के अकेले जाने का कानून आया है.  जिसके बाद लखनऊ की इन चार महिलाओं ने हज जाने का आवेदन किया था.

और इनके हज पर जाने के सभी रास्ते खुल गए है.  इससे पहले प्राइवेट एजेंसी के साथ पूरा ग्रुप जाया करता था.

उसमें महिलओं को चोरी छुपे ले जाया करते थे. मगर अब सऊदी अरब नें महिलाओं के अकेले आने की परमिशन दे दी है.

हज पर शमीम बनो (56), नूरजहां (67), मुमताज (59), हस्मतुन निशा (58) जा रही हैं.

40 दिनों कि इस हज यात्रा के लिए 28 जुलाई को हज हाउस लखनऊ से रवाना होंगी, जो सीधा लखनऊ एयरपोर्ट से मदीना के लिए रवाना होगी.

पहले लगभग 30 प्रतिशत मिलती थी सब्सिडी:

पहले हज कमेटी की तरफ से लगभग 30 प्रतिशत सब्सिडी मिला करती थी.  मगर अब सरकार ने सारी सब्सिडी बन्द कर दी है.

हज पर पहले अपने मेहरम के साथ जा चुकी बेबी खातून का कहना है कि जिनके पास मेहरम नहीं था वो कभी नही जा पाया करता था.

उन माँ बहनों को बहुत सहूलियत मिली है, जिनके मेहरम नहीं होते थे.

मगर अब सरकार के इस कानून ने बहुत नेक काम किया है. जिसकी वजह से अब मेहरम के ना होते हुए भी महिलाएं अकेले ही हज को जा सकती हैं.

ये बहुत ही अच्छा काम है जो इस बार हो रहा है.

लखनऊ के इटौंजा क्षेत्र से जाने वाली ये सभी महिलाओं के मेहरम (पुरुष) नहीं थे.

इस वजह से ये हज पर जा नहीं  पाते थे. अगर इन्हें जाना भी होता तो सगे भांजे, बेटे या दामाद के साथ ही जा सकते थे.

मगर अकेले नहीं जा सकते लेकिन इस बार इन चार महिलाओं ने कदम आगे बढ़ाया और हज पर जाने की ठानी है.

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