राजधानी लखनऊ में तन्वी सेठ पासपोर्ट प्रकरण मामले में पासपोर्ट कार्यालय ने तन्वी सेठ के आरोपों के बाद अगले ही दिन उनका पासपोर्ट जारी कर दिया, लेकिन इसके बाद एलआईयू की रिपोर्ट के बाद ये साबित होने पर भी की तन्वी सेठ एक साल से लखनऊ में रहीं ही नहीं, अब तक कार्यालय द्वारा कोई कारवाई न होने पर सवाल उठाना लाज़मी हैं. आखिर इस पूरे प्रकरण में लखनऊ पासपोर्ट दफ्तर और सम्बंधित अधिकारी पर सवाल क्यों न उठे?
मिल सकता है क्लीयरेंस:
तन्वी अनस के पासपोर्ट मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है। सूत्रों के अनुसार आ रही खबरों की मानें तो रीजनल पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने सभी नियम कानून को दरकिनार करते हुए तन्वी और अनस के पासपोर्ट को क्लीयरेंस दे दिया है।
पीयूष वर्मा ने एडवर्ट रिपोर्ट को कैंसिल कर तन्वी और अनस के पासपोर्ट को क्लीयरेंस दिया है। ऐसा होने के बाद अब न तो पासपोर्ट रद्द होगा और न ही किसी तरह की कोई कार्यवाही की जाएगी।
#लखनऊ – #तन्वी और अनस के पासपोर्ट पर लगी विभागीय रोक हटी। अब इस पासपोर्ट के बिना पर दोनो कर सकते है देश विदेश की यात्रा। @rpolucknow @SushmaSwaraj @lucknowpolice @Interceptors #TanviSeth pic.twitter.com/YzqyY9tH9r
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) July 3, 2018
पीयूष वर्मा ने पुलिस, और एलआईयू की रिपोर्ट को दरिकनार करते हुए पासपोर्ट जारी कर दिया है। विभाग के पूर्व बड़े अधिकारी भी इस फैसले से हैरान हैं और उनका कहना है कि ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि इस तरह से पासपोर्ट जारी किया गया है।
हालांकि जब इस मामले में रीजनल पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा से बात की गई तो उन्होंने किसी भी तरह के क्लीयरेंस देने की बात से इनकार कर दिया।
साथ ही उन्होंने तन्वी सेठ को किसी तरह का नोटिस भेजने की बात से भी इंकार किया। सवाल यही है कि आखिर एलआईयू की जांच रिपोर्ट आने के लगभग एक हफ्ते बाद भी कोई नोटिस क्यों नही जारी किया गया।
जबकि एलआईयू और लखनऊ पुलिस की वैरिफिकेशन रिपोर्ट में ये पता चला था कि तन्वी सेठ एक साल से अपने दिए गए पाते पर नही रह रहीं थी।
क्या कहता है नियम ?
नियम के मुताबिक एलआईयू की एडवर्स रिपोर्ट आने के बाद तुरंत नोटिस जारी करना होता है लेकिन रिपोर्ट आने के कई दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक नोटिस नहीं जारी की गई है।
साथ ही जब अगर किसी व्यक्ति ने तत्काल स्कीम के तहत पासपोर्ट के लिए अप्लाई करता तब उसका पासपोर्ट पहले बनता है और उसके बाद उसके पाते की जांच की जाती है।
पर तन्वी सेठ ने सामान्य कैटेगरी में पासपोर्ट अप्लाई किया था। तो फिर सवाल उठता है कि आखिर कैसे बिना जांच के पासपोर्ट बना दिया गया।
क्या था मामला ?
दरअसल राजधानी लखनऊ के रतन स्क्वायर में पासपोर्ट सेवा केंद्र में तन्वी सेठ नाम की महिला पासपोर्ट बनवाने गई थी। जिसपर महिला ने आरोप लगाया था कि पासपोर्ट अधीक्षक विकास मिश्र ने उनके धर्म के नाम पर उनका जमकर मखौल उड़ाया।
अधिकारी पर लगाये आरोप:
इस घटना से दुखी तन्वी ने पीएम मोदी और विदेश मंत्री से न्याय की मांग की थी। तन्वी ने अपने ट्वीट में लिखा था कि लखनऊ पासपोर्ट ऑफिस में विकास मिश्रा द्वारा धर्म के नाम पर किये अपमान जनक व्यवहार से मुझे बहुत पीड़ा हुई है।
महिला ने ट्वीट में लिखा था किसी आम नागरिक के सुविधा के लिए बनाये गये पासपोर्ट ऑफिस जैसी जगह पर इस तरह के व्यवहार की मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
उन्होंने लिखा कि शादी के बारह सालों में किसी ने कभी इस तरह अपमान नहीं किया जितना मुझे पासपोर्ट ऑफिस में अपमानित किया गया। मैं किसी भी धर्म के लड़के से शादी करूं ये मेरा व्यक्तिगत मामला है।
मैं शादी के बाद किसी भी नाम का चुनाव करूं ये मेरा फैमिली मैटर है। इस मामले में किसी को भी किसी भी तरह की टिप्पणी करने का कोई हक नहीं है।
2007 में तन्वी ने अनस नाम के युवक से की थी शादी
तन्वी सेठ ने 2007 में दूसरे धर्म के युवक अनस सिद्दीकी से शादी की थी। उनकी छह साल की बेटी भी है। तन्वी का आरोप है कि जिस समय पासपोर्ट अधीक्षक उन्हें धर्म के नाम पर अपमानित कर रहे थे उस समय उनके साथी कर्मचारियों ने भी उनपर कई अपमान जनक बातें बोलीं।
तन्वी ने आरोप लगाया था कि विकास मिश्र ने पेपर्स देखने के बाद दूसरे धर्म में यानि मुस्लिम से शादी करने के बारे में सवाल-जवाब करने लगे। इतना ही नहीं उन्होंने दोनों को एक ही उपनाम रखने की एडवाइस भी दे डाली थी।