भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, प्रखर चिंतक तथा समाजवादी राजनेता एवं राजनीतिज्ञ डा. राम मनोहर लोहिया का आज 108 वीं जयंती है। जिसके उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने लखनऊ के गोमतीनगर स्थित लोहिया पार्क में स्थापित डा. राम मनोहर लोहिया की मूर्ति को माल्यार्पण श्रद्धांजलि दी। वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर लोहिया को श्रद्धांजलि अर्पित की है। 

बर्लिन से ली पीएच.डी. की उपाधि

तमाम गतिरोधों के बावजूद लोहिया ने मैट्रिक परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। जिसके बाद इंटरमीडिएट में दाखिला बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कराया। उसके बाद उन्होंने वर्ष 1929 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1932 में इन्होने पीएच.डी. की उपाधि बर्लिन विश्वविद्यालय, जर्मनी से ली। वहां उन्होंने शीघ्र ही जर्मन भाषा सीख लिया और उनको उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए वित्तीय सहायता भी मिली।

लोहिया के पिता भी थे राष्ट्रभक्त

डॉ॰ राममनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर स्थित अकबरपुर नामक स्थान में हुआ था। उनके पिताजी हीरालाल पेशे से अध्यापक थे तथा वे हृदय से सच्चे राष्ट्रभक्त थे। जब लोहिया ढाई वर्ष के थे तभी उनके माता चन्दा देवी का निधन हो गया। उनके पिताजी गाँधीजी के अनुयायी थे। जब वे गांधीजी से मिलने जाते तो उनको भी अपने साथ ले जाया करते थे। पिता के साथ आते जाते गांधीजी के विराट व्यक्तित्व का उन पर गहरा असर हुआ। पिताजी के साथ 1918 में अहमदाबाद कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार शामिल हुए।

नेहरू के देखरेख में किया काम

1921 में लोहिया, पंडित जवाहर लाल नेहरू से पहली बार मिले। जिसके बाद वो कुछ वर्षों तक उनकी देखरेख में कार्य करते रहे, लेकिन बाद में उन दोनों के बीच विभिन्न मुद्दों और राजनीतिक सिद्धांतों को लेकर टकराव हो गया। 18 साल की उम्र में वर्ष 1928 में युवा लोहिया ने ब्रिटिश सरकार द्वारा गठित ‘साइमन कमीशन’ का विरोध करने के लिए प्रदर्शन का आयोजन किया।

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