राजधानी लखनऊ स्थित बलरामपुर अस्पताल में गलत तरीके से इंजेक्शन लगाने से 10 मरीजों की जान पर बन आई। इनमें से एक मरीज की हालत गंभीर हो गई जिसे आईसीयू में भर्ती किया गया है। इंजेक्शन लगने के कुछ देर बाद ही मरीज बेड पर पलटने लगे और उन्हें उल्टियां होने लगीं। मामला बढ़ता देख अस्पताल के निदेशक ने मरीजों के उस वार्ड में सभी की इंट्री पर पाबंदी लगा दी। तीमारदारों का आरोप है कि वार्ड ब्वॉय ने गलत इंजेक्शन लगाया था। निदेशक ने वार्ड में गलत तरीके से इंजेक्शन लगाने वाले नर्स (पुरुष) को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का आदेश दे दिया है।
इंजेक्शन लगाने के बाद ही 10 मिनट में मरीजों की तबीयत बिगड़ने पर वार्ड में हड़कंप मच गया। तीमारदार अपने मरीजों लेकर इमरजेंसी में भागे। इसी बीच नर्सों व कर्मचारियों ने अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव लोचन समेत अन्य अधिकारियों को मामले की जानकारी दी। कुछ ही देर में निदेशक समेत अन्य डॉक्टरों की टीम वार्ड दो व इमरजेंसी में पहुंच गई।
आरोप है कि आला अफसरों ने वार्ड दो में दो-तीन गार्ड बैठाकर दरवाजा अंदर से बंद करवा लिया। इसी बीच मरीज इरफान ने पुलिस कंट्रोल नंबर 100 पर मामले की सूचना दी। कुछ ही देर में वहां पर पुलिस भी पहुंच गई। तीमारदारों ने बताया कि डॉक्टरों ने बर्फ के बड़े टुकड़े मंगवाए।
वार्ड का दरवाजा बंद करके अंदर मरीजों के सीने पर बर्फ रखने लगे। कई इंजेक्शन भी लगाए। डॉ. राजीव लोचन का कहना है कि मरीजों का शरीर तेजी से गर्म हो रहा था, इसलिए बर्फ रखकर इलाज किया गया। इस प्रक्रिया को कोल्ड स्पंजिंग कहते हैं। आलम को हाइपरपाइरेक्सिया की शिकायत थी।
उसकी तबीयत में सुधार न होते देख उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया। मरीजों को रोजाना की तरह एंटीबॉयोटिक व इलाज से जुड़े इंजेक्शन ही लगाए गए थे, कोई गलत या एक्सपायरी इंजेक्शन नहीं लगाया गया। इंजेक्शन लगाने वाले नर्स (पुरुष) सुजान को उस वार्ड से ड्यूटी से हटाकर दूसरी जगह लगा दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, बलरामपुर अस्पताल के वार्ड नंबर दो में दुबग्गा निवासी मोहम्मद आलम (35), ख्यालीगंज के इरफान (58), बहराइच के भगवती सिंह, फतेहपुर के मो. फकीर, गोसाईंगंज के पवन सिंह, हसनगंज के धर्मराज, बाराबंकी के विकास, लखीमपुर के सुरेश कुमार, हरदोई के राजेश, उन्नाव के शकूर व अन्य मरीज भर्ती थे। भाई शहनवाज ने बताया कि आलम को 17 जुलाई को तेज बुखार आने की वजह से इमरजेंसी में भर्ती कराया था, जहां से 18 जुलाई की सुबह हालत में सुधार होने पर आलम को वार्ड नंबर दो में रेफर किया गया था।
शाहनवाज और मां नसीमा फातिमा का आरोप है कि वार्ड में सुबह करीब 6:30 बजे एक वार्ड ब्वॉय आया। वार्ड ब्वॉय ने सभी के वीगो में इंजेक्शन लगाना शुरू कर दिया। जैसे ही वह मरीजों को इंजेक्शन लगाकर हटा तुरंत ही सभी की तबियत बिगड़ने लगी। मरीज बेड पर पलटने लगे, उन्हें उल्टियां होने लगीं। इससे तीमारदारों में अफरातफरी मच गई।