उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिला में मासूम बच्चों पर जंगली जानवरों द्वारा किये जा रहे हमले लगातार जारी हैं। जानवरों का आतंक इस कदर है कि मासूमों की मौत व घायलों का आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। इनकी मौतों के बावजूद अभी तक प्रशासन इन जानवरों पर अंकुश नहीं लगा पाया है। आदमखोर जानवरों के हमले से जख्मी एक और बालिका ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस मौत के बाद जंगली जानवरों के हमले में मारे गए मासूमों की संख्या 14 पहुँच गई है, वहीं घायलों की संख्या 29 है। इन घटनाओं के बाद भी ऑपरेशन में लगे तमाम एनजीओ और डॉक्टर्स जिलाधिकारी शीतल वर्मा को गलत रिपोर्ट दे रहे हैं। ये हम नहीं बल्कि प्रशासन की तरफ से काम कर रहे वासिफ जमशेद और डॉ. राजेश (एचएसआई) के बीच हुई बातचीत में खुलासा हुआ है। बातचीत में ये सामने आया है कि ऐसी कमरे में बैठ के जिम्मेदार कुछ और बात करते हैं लेकिन बाहर आते ही बयान पलटकर गुमराह कर रहे हैं।
NGO Team misleading DM Sitapur Sheetal Verma
वासिफ जमशेद और डॉ. राजेश (HSI) के बीच हुई बातचीत के कुछ अंश
वासिफ जमशेद- हेलो…!
डॉ. राजेश (HSI)- हेलो…!
वासिफ जमशेद- मैं ये कह रहा था कि डॉक्टर दिनेश पटेल आये थे यहां तो उन्होंने सबकुछ देखा फिर उन्होंने शायद मैडम को मेल किया है, कि वो डॉग्स नहीं कुछ और है। जबकि मुझे बहुत ताज्जुब है…इतना रिस्पोन्सिबल बिहैवियर लगा, आप तो इतने सीनियर डॉक्टर हैं…आप ने अच्छा सबकुछ सजेशन दिया।
डॉ. राजेश (HSI)- अब मैं कुछ कहूं…
वासिफ जमशेद- बताएं…
डॉ. राजेश (HSI)- मैं ये कह रहा था कि आईवीआरआई का रिपोर्ट माँगा आप ने किसी सीनियर से
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वासिफ जमशेद- हां बिल्कुल मांगे
डॉ. राजेश (HSI)- आईवीआरआई का रिपोर्ट आ जाये एक दिन की बात है
वासिफ जमशेद- कोई रिपोर्ट क्या भेजता है वो अलग चीज है, लेकिन आप ने तो ग्राउंड पर काम किया है।
डॉ. राजेश (HSI)- रिपोर्ट कैसे कोई बदल सकता है…आईवीआरआई अपनी रिपोर्ट बनता है मैं नहीं मानता रिपोट चेंज हो सकती है…
वासिफ जमशेद- रिपोर्ट चेंज करने की बात नहीं हो रही है…. बात सिर्फ ये हो रही है अभी जो ऑर्डर जिस ईसू को लेकर सबको यहां से मेल होने जा रहा लेटर जारी होने जा रहा…. ये रिस्पॉन्सिबिलिटी है सबकी…
डॉ. राजेश (HSI)- मेल कैसा अभी तो कोई मेल मुझे सीसी में मेरे पास तो कुछ आया नहीं…
वासिफ जमशेद- अभी नहीं आ जायेगा बात हो रही है यहां पे…देखिये बात ये हो रही यहां पे डॉक्टर साहब…कि मैं आप के साथ रहा…मुझे काम करना भी आप के साथ अच्छा लगा…
डॉ. राजेश (HSI)- हाँ…हाँ…हाँ…
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वासिफ जमशेद- आप ने मुझसे बोला…आप ने मुझे मेल करने को कहा कि आप से मुझे लर्न करने को मिला ये मेरे लिए ख़ुशी की बात है…
डॉ. राजेश (HSI)- देखिये सही है जो चीज…जो चीज नहीं पता है वो बोल दिया इसमें कोई वो नहीं है…जो नहीं पता है…नहीं पता है…
वासिफ जमशेद- फिर आप डीएफओ ऑफिस में तीन चार रेंजर्स के सामने बैठ के ये बात कह रहे हैं…पियूष बिल्कुल डिस्कस करता है हमेशा…बिहैवियर नहीं है…हमलावर डॉग्स ही हैं…डॉग्स के अलावा कुछ नहीं है…ठीक है…और उसके बाद बाहर निकलते हैं आधा घंटा…मेरे साथ बैठते हैं…मेरे साथ चाय पीते हैं मेरे साथ बात करते हैं…मेरे साथ बिल्कुल फ्रैंडली हो जाते हैं…और मेरा नंबर भी शेयर करते हैं कि अगर कोई कभी कुछ कन्फ्यूजन होगा तो पूछेंगे भी…ऊपर से भाई ये डॉग्स ही हैं…यहां तक की वह कह देता है कि मारे वगैर काम नहीं चलेगा…आप सामने खड़े थे डॉक्टर साहब…और फिर जाके स्टेटमेंट बदलना ये कैसे…ये नहीं समझ में आया…आप बताइये डॉक्टर साहब…ये क्या बिहैवियर है…हम आप को ट्रस्ट करके बुलाते हैं…आप जा के कुछ और बोलते हैं…मतलब मुझे समझ में नहीं आया कि सच बोलने में क्या दिक्कत है…आप बताइये डॉक्टर साहब!
डॉ. राजेश (HSI)- चलिए ठीक है आप मेरे ऑफिस आइये…देखते हैं क्या है क्या नहीं…मुझे बोला गया कि टीवी पर जो दे रहा वह सही है…
वासिफ जमशेद- देखिये रिपोर्ट किसको क्या देना है…मेरा तो एक पर्सनल डिस्कशन है…पर्सनल डिस्कशन अलग होता है…देखिये कि जब हम आप बैठे हुए हैं…जो आप के साथ आये उन्होंने ने भी एक्सेप्ट किया कि डॉग्स ही हैं… अच्छा ये बताइये… कि क्या आप को कोई जंगली जानवर मिला… सच बोलिये डॉक्टर साहब!
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डॉ. राजेश (HSI)- मुझे नहीं मिला ये मैं एक्सेप्ट कर रहा हूँ…
वासिफ जमशेद- तो क्या आप वो डॉक्टर पियूष आये थे उन्होंने एक्सेप्ट नहीं किया ये डॉग्स हैं…
डॉ. राजेश (HSI)- उनका मुझे नहीं पता किया हो रहा है…वो इतना बड़ा मुद्दा बना दे रहे हैं…
वासिफ जमशेद- वही मैं कह रहा हूँ आप एक सेंसियर ऑफिसर के सामने बैठ के कुछ और कहते हैं…हम आप की रेस्पेक्ट करते हैं क्योंकि आप रिसर्चर हैं…आधे घंटे निकाल के आप मेरे से बात करते हैं चाय पर…और आप कहते हैं कि वो डॉग्स ही हैं और डॉग्स के सिवा कुछ और नहीं है…इनको पकड़ नहीं पाएंगे इनको मारने की अलावा और कुछ नहीं है…वासिफ भाई इनको पकड़ नहीं पाएंगे इनको मारने के अलावा और कुछ नहीं है… आप इतने सीनियर डॉक्टर हैं… ठीक है और उसके बाद जाकर आप कुछ और कहते हैं…ये कैसे…यही तो मैं जानना चाहता हूँ…सच से क्या डरना…
डॉ. राजेश (HSI)-चलिए ठीक है…अब देखता हूँ…
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वासिफ जमशेद- आप का मैंने कितना सपोर्ट किया आप जानते हैं…
डॉ. राजेश (HSI)- मैं सॉरी बोल सकता हूं इसके लिए…
वासिफ जमशेद- आप सॉरी मत बोलिये…ये बच्चों वाला रिस्पॉन्सिवल बिहैवियर है और कुछ नहीं…देखिये आप ने बोला वासिफ भाई अगर आप बोलेंगे तो मैं यहाँ पर अपने पास से पैसे देकर 500 कुत्तों का Sterilization कर देंगे…मैंने आप की बात मानी फ़ौरन…
डॉ. राजेश (HSI)- देखिये ये जो एथिक्स हैं हमें जो पियूष के उसने कहा कि ये हो जाये तो ठीक है…
वासिफ जमशेद- देखिये ऐसे मैटर पे किसी को प्रॉजेक्ट दिलाना या बोलना नहीं अच्छा लगता…मैंने तब भी बोला डीएम मैडम से…कि डीएम मैडम ऐसी ऐसी बात है…कि वो कह रहे कि 500 सौ डॉग्स का खर्चा उठा लेंगे…मैंने बोला चलो कोई बात नहीं…बाद में हमने कहा कि बाद में उनको हम पे भी कर देंगे…इंफ्रास्ट्रक्चर भी दे देंगे…और पूछा भी लोगों से कि क्या कोई कमरा होगा…जो इनको दे दिया जाये…हम ढूंढ रहे हैं मिल जायेगा तो दे देंगे…ऐसे सेंसिटिव ईसू पर भी मैंने बोला चलिए डॉक्टर साहब हमारे साथ हैं…ये अच्छी बात है चाहे वो प्रॉजेक्ट ले आये चाहे वो काम करके जाएँ जो भी रिपोर्ट दें…तो काम से कम उनका सपोर्ट मैं करूँ…मैंने आप की बात रख ली…लेकिन कम से कम आप भी सीनियर हैं, पियूष जी अच्छा रिसर्चर हैं…
डॉ. राजेश (HSI)- इसमें तो सभी ने कहा होगा…डॉक्टर झाला ने क्या रिपोर्ट दी, उन्होंने भी तो यही कहा होगा…
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वासिफ जमशेद- देखिये उनसे मुलाकात नहीं हुई…क्या उन्होंने कहा डॉग्स? ऐसा कुछ…
डॉ. राजेश (HSI)-देखिये डॉक्टर झाला जो वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट हैं पूरे इण्डिया में…
वासिफ जमशेद- अच्छा ये बताइये जब डब्ल्यूएफ वाले बैठे थे…सबकी कन्क्लूजन रिपोर्ट क्या है… ये आप बताइये कमरे में बैठ के
डॉ. राजेश (HSI)- वो तो वही थी उसमें क्या बोलूं…वो तो वही थी…पहली नजर में डॉग था…
वासिफ जमशेद- और आखिरी नजर में क्या निकला…
डॉ. राजेश (HSI)- आखिरी देखिये इन्होने डाउट है…मामला पोलिटिकल हो रहा था…मैंने सीधा पॉलिटिकल देखा…
वासिफ जमशेद- पोलिटिकल में हम नहीं आते…हम प्रेशर में नहीं आते…हमारे ऊपर देखिये इतना प्रेशर है…लेकिन मैं फिर भी झूठ नहीं बोल रहा हूँ…एक दम साफ बोलता हूँ…क्योंकि भाई मेरी नौकरी से ज्यादा मेरे एथिक्स हैं…कि मेरी अपनी अहमियत क्या है…आप मेरे साथ खड़े होते हैं…घंटो खड़े होते हैं बातें करते हैं…और यहां तक कि जो आप को नहीं बोलना होता है वो बोल के जाते हैं…कि कुत्तों को मारिये इसके अलावा कोई इलाज नहीं है…देखिये डॉक्टर साहब मैं आप के इमोशन समझता हूँ…मैं फिर भी कभी प्रेशर में नहीं रहा कि डॉग मरे…
डॉ. राजेश (HSI)- वो तो आप ने भी कहा था कि अच्छे डॉग्स नहीं मरने चाहिए…जो हमला कर हैं उन्हें मारना चाहिए…
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वासिफ जमशेद- डॉक्टर साहब इन फ्यूचर अगर हम आप को कहीं बुलाएं…या कुछ कहें तो हम आप पे ट्रस्ट तो कर सकें…
डॉ. राजेश (HSI)- हाँ वो तो है…
वासिफ जमशेद- तो प्लीज समझाइये…क्योंकि झूठ के साथ कोई फ्यूचर आगे लेकर नहीं जा सकता…
डॉ. राजेश (HSI)- देखिये ये तो हमें पता चला कि इससे तो हमें ही नुकसान है…
वासिफ जमशेद- यही तो बात कहने की कोशिश कर रहा हूँ…सेंसियर होइए गलतफहमियां फैल रही हैं…बच्चों की जान जा रही है…बेगुनाह मर रहे हैं इन गलतफ़हमियों से…कभी कहते हैं कुत्ते नहीं हैं…कभी कहते हैं कुत्ते हैं… कोई एक चीज डिसाइड कीजिये…कम से कम हम लोगों को बता सकें…जब कमरे में सब बैठ के सब डिसाइड कर लेते हैं तो बाहर जाकर सब क्यों पलट जाते हैं…ऐसा कौन सा प्रेशर है जो झूठ बुलवा देता है…डॉक्टर साहब मैं गलत बोल रहा हूँ क्या…?
डॉ. राजेश (HSI)- हूँ…हूँ…नहीं वो तो है ही…
वासिफ जमशेद- देखिये आप को मैंने ईमानदारी से काम करते देखा है…आप ने ईमानदारी से मुझको बताया वासिफ जी जो है सच है ये डॉग्स के अलावा कुछ नहीं है ये…कि डॉग्स के अलावा कुछ नहीं है ये…क्योंकि वाइल्ड एनीमल मिला ही नहीं…
डॉ. राजेश (HSI)- मुझे तो कुछ मिला नहीं… तो कैसे बोल दूँ भाई…
वासिफ जमशेद- मुझे क्या किसी को भी मिले भाई…
डॉ. राजेश (HSI)- नहीं…हमारे रहते हुए मैं जितने दिन रहा आप के साथ काम किया …प्लस आप ने बताया वही किया…किसी ने लाकर कुछ नहीं दिया …सीए साहब दो लाये थे…
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वासिफ जमशेद- CVO साहब कितनी गलत बात कर रहे हैं...आप ने बोला कि CVO साहब कितनी उलटी पुलटी बातें कर रहे हैं …कि तीन घंटे आप बैठे…और उसने भी एक्सेप्ट किया पियूष ने कि आप लोगों को गोल गोल घुमा रहे हैं…
डॉ. राजेश (HSI)- हूँ…हूँ…हूँ…उसमें यही कन्फ्यूजन निकला की आईवीआरआई मैं नहीं मानता कि कुछ और देगी…99.99 आप वो रिपोर्ट मंगाइये…
वासिफ जमशेद- मुझे मालूम है…मुझे समझ नहीं आता…मुझे मालूम है कि सच्चाई क्या है
डॉ. राजेश (HSI)- देखिये अगर आईवीआरआई देगी तो ये परफेक्ट है…डेड बॉडी होनी चाहिए कोई बेस तो होना चाहिए…
वासिफ जमशेद- आईवीआरआई पर हम ट्रस्ट करते हैं…लास्ट मेरा टाइगर जो पीलीभीत वाला ट्रीट करने के लिए थोड़ा उसको प्रॉब्लम हुई थी ट्रीट करने के बाद तो हमने आईवीआरआई की टीम बुलवाई थी…तो टीम पीलीभीत में ट्रीट करके गई थी…
डॉ. राजेश (HSI)- देखिये भाई हमारा तो क्षेत्र में निकलना रहता है…
वासिफ जमशेद- नहीं…नहीं देखिये…इस तरह के अगर फेक स्टेटमेंट मिल जायेंगे तो तो भाई कैसे ट्रस्ट करेंगे, किसको ट्रस्ट करें…राजेश भाई आप सीनियर डॉक्टर हैं समझाइये जरा इस चीज को…प्लीज झूठ का सहारा ना लें…इसके चलते बहुत सारे बड़े ऑफिसर्स की इमेज पर बात आती है…ये छोटा इशू नहीं है, बहुत सेंसिटिव इशू है…भाई बहुत सारे डॉग्स मारे गए…आप एक बात बता दीजिये राजेश डॉक्टर साहब…आप ह्यूमेन सोसाइटी से हैं, बहुत सारे एनजीओ से जुड़े हैं…अच्छा काम करते हैं…7 तारीख से मैं आया आप यहीं थे, आप मेरे से मिलना चाहते थे…8 तारीख को मेरी आप से मुलाकात हुई…याद है आप को…
डॉ. राजेश (HSI)- हाँ…मैं तो ये कह रहा कि 11 या 12 को मिले होंगे…
वासिफ जमशेद- मान लीजिये कि हम आप से 13 को मिले…13 के बाद आप ने कहीं सुना कि कहीं कोई डॉग गांव वालों ने मारा…
डॉ. राजेश (HSI)- डॉग तो दो गांव वालों ने मारा…
वासिफ जमशेद- वही को CVO साहब ले गए…गांव वालों से कोई इंसिडेंट आया…कोई नहीं आया…इसका असर यही हुआ कि डॉग्स गांव वालों ने मरना ख़तम कर दिया…
डॉ. राजेश (HSI)- गांव वाले नहीं मार रहे… गांव में भी कुत्ते हैं, उसका प्रूफ है…
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वासिफ जमशेद- गांव में कुत्ते हैं, हम लोग रिबन भी बांध रहे सब है…ठीक है…हम लोग लगे हुए हैं कि ऐसे कुत्तों पकड़ने के लिए कि जो ऐसी हरकत कर रहे हैं…हमेशा मेरा और आप का ये टारगेट रहा है कि ऐसे डॉग्स को आईडेंटीफाई करें जो ऐसी हरकत कर रहे हैं…यही इशू था…बस कभी कभी मोराल डाउन होता है जब हमारे साथ के लोग इस तरह की बात करें…डॉक्टर साहब इसे समझाइयेगा थोड़ा सा…थोड़ा सिंसियरिटी लाये…सच्चाई बोलने से कभी आप का कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता…
डॉ. राजेश (HSI)- चलिए ठीक है मैं तो आप से बोलूंगा ही…
वासिफ जमशेद- और प्लीज आप को सॉरी बोलने की किसी की तरफ से कोई जरुरत नहीं थी…
डॉ. राजेश (HSI)- नहीं…नहीं ऐसा नहीं है ये पर्सनल है ऐसा भी नहीं है, कुछ चीजें ऐसी हैं…देखिये ये तो हकीकत है कि मैं तो आप की उस बात पे कतई एग्री हूँ…कि बेगुनाह ही मर रहा है…जो भी है इसे आइडेंटिफाई करना है और क्लियर करना है…
वासिफ जमशेद- मेरा हमेशा से यही रहा…आप पहले से देखते रहे हैं कि मेरा स्टेटमेंट यही रहा…
डॉ. राजेश (HSI)- वो तो हकीकत है ना…इसमें ये होता है कि पकड़ने के बाद पकड़ में आते…आप लोग उसके लिए तैयार भी हुए थे कि आप लोगों ने पिंजरे रखे भी थे…
वासिफ जमशेद- और राजेश भाई आप ने हमेशा एक चीज नोटिस की होगी…कि मेरा प्रेपरेंस पहले उनको पकड़ने का रहा… उनको पकड़िए, क्योंकि जरा देखें तो कि हमलावर जानवर आखिर हैं कौन…एक जिन्दा मिल जाये मजा आ जाये…
डॉ. राजेश (HSI)- हाँ एक मिल जाये तो…
वासिफ जमशेद- हम लोग कोशिश में लगे रहे कि किसी तरह एक मिल जाये…जिंदा क्या मिलेगा वो हाथ ही नहीं आ रहे…आप तो देख ही रहे कि कैसे भाग रहे…
डॉ. राजेश (HSI)- हाँ…हाँ…वो तो देख ही रहा हूँ…
वासिफ जमशेद- वो भागते हुए दिखाई दे रहे हैं लेकिन आप पकड़ नहीं सकते…मतलब ये सिचुएशन देखी आप ने क्या हालत है…
डॉ. राजेश (HSI)- हाँ…हाँ…देखी है वो चीज तो…
वासिफ जमशेद- सब कुछ सामने हो रहा वो याद है जो बुढ़िया को बचाया था…जब बकरी मारी थी तो बुढ़िया को भी बचाया था…तो भी वही काला वाला और तीन भूरे वाले निकले…वही दौड़ रहे थे…मेरे कहने का मतलब ये है कि जब हम फैक्ट देख रहे तो फैक्ट से नहीं पलटना चाहिए…ये लोगों को बताना चाहिए क्योकि लोगों को भी पता चले कि वह इससे अवेयर हो जाएँ कि कहीं शहर में ना हो जाये…या कहीं और ना हो जाये…चलिए कोई बात नहीं बच्चा है चलिए हो सकता है उससे कोई हरकत हो गई हो…लेकिन फिर जैसा होता है हम आप से डिस्कस करते हैं…थोड़ा जो और सपोर्टिव है वो आप मुझे बताइये आप के हिसाब से…
डॉ. राजेश (HSI)- ठीक है…ठीक है…
वासिफ जमशेद- ओके डॉक्टर साहब…!