राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने प्रदेश सरकार द्वारा गन्ना किसानों के लिए घोषित 5.50 रूपया प्रति कुन्तल सब्सिडी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा है कि इस फैसले से प्रदेश सरकार ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह गन्ना किसानों का दिखावा करके मिल मालिकों को स्पष्ट रूप से लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है। क्योंकि वर्तमान सत्र का ही लगभग 11000 करोड रूपया गन्ना मूल्य मिल मालिकों पर बकाया हो गया है। जिसके भुगतान की सम्भावना दूर दूर तक नजर नहीं आती है।
चीनी की खपत कम होने से चीनी का भाव कम
डाॅ. अहमद ने कहा कि विदेशों से आयात की गयी चीनी के कारण प्रदेश में तैयार की गयी चीनी की खपत कम होने के कारण चीनी का भाव कम हो गया है। जबकि अपने यहां की पैदावार की खपत की अपेक्षा बहुत अधिक हुयी है। प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार ने भी मिल मालिकों के पक्ष में गन्ना मूल्य के बकाया पर ब्याज माफ कर दिया था। जिसकों उच्च न्यायालय ने स्थगित कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के निर्णय पर ही अपनी मुहर लगा दी है। परन्तु प्रदेश सरकार ने उसके भुगतान की कोई घोषणा अब तक नहीं की है। जो सर्वथा निंदनीय है और सरकार के किसान विरोधी होने का प्रमाण है।
गरीबों और किसानों का हितैषी बताकर मजाक उड़ा रही सरकार
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब जब चुनाव होता है तो किसानों के हितैषी के रूप में नजर आते हैं। जैसा कि वर्तमान में कर्नाटक में दिखाई पड रहा हैै। परन्तु उप्र के चुनाव में उन्होंने प्रदेश के किसानों को लाॅलीपाप दिखाकर वोट हासिल कर लिये। उसके बाद किये गये वादों से स्वयं मुकर गये। कहा कि वादे पूरा करना प्रदेश सरकार का काम है।
प्रदेश सरकार ने किसानों के ऋणमाफी के नाम पर 2 रूपये और 3 रूपये जैसे चेकों के माध्यम से किसानों की हंसी उडाकर किसान विरोधी होने का प्रमाण दे दिया है। जो सरकार पूंजीपतियों का प्रत्येक मोड पर हित साधने का कार्य करती हो वह किसानों की हितैषी कैसे हो सकती है? प्रदेश में बंद पडे रिलाएन्स पेट्रोलियम के हजारों पेट्रोल पम्प आज चालू हैं फिर भी प्रदेश सरकार स्वयं को गरीबों और किसानों का हितैषी बताकर एक बार फिर उनका मजाक उडा रही है।