महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहार से डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मठ-मंदिर हर हर महादेव एवं बमबम भोले के जयकारों के साथ शिव आराधना मे लीन हो गया। सोमवार, दिनांक 2 मार्च प्रातः 2 से सर्वप्रथम भगवान महादेव का स्नान 151 लीटर आदि माँ गोमती के चंद्रिकादेवी घाट से लाए जल से किया गया, तत्पश्चात दही, देसीघी, शहद, पांचवतत्व एवं पंचपुष्प मिश्रित जल से महादेव का महाभिषेक किया गया, प्रातः 2:30 पर नागा साधु वेशधर सेवादार बृजेश ने भगवान शंकर की भस्म महाआरती की इस भस्म आरती के तुरंत बाद मठ-मंदिर की महंत देव्यागिरि महाशिवरात्रि की प्रथम प्रातः कालीन मुख्य महाआरती ढोल, ताशा, नागफनी, चिमटा, डमरू, शंख व नगाड़े आदि के धुन पर की, इस अवसर पर उपस्थित सेवादारों ने सफ़ेद धोती एवं त्रिपुण्ड टीके में अद्भुत छटा बिखेरी। आरती के तरुंत बाद ही मंदिर के कपाट भक्तगणों के दर्शन के लिए खोल दिए गए। पर्व की दूसरी आरती सायं 8 बजे हुई।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]वितरित किया गया 51 लीटर गंगाजल[/penci_blockquote]
प्रातः4 बजे पर्वतीय प्रकोष्ठ लखनऊ मण्डल कांग्रेस कमेटी के सह-संयोजक बल बहादुर सिंह की ओर से 51 लीटर गंगाजल का वितरण मंदिर के बहार लाइन मे लगे श्रद्धालुओं के बीच किया गया जिसका स्वागत उपस्थित भक्तगणों ने जम कर किया गंगा-जल पाने की होड़ मे समस्त गंगा-जल कुछ ही समय मे वितरित हो गया, इस अवसर पर श्री सिंह ने कहा की उनके इस पुनीत कार्य के पीछे विश्वकल्याण कामना का उदेश्य है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]वसंत व फागुन थीम पर हुई मंदिर की साज-सज्जा[/penci_blockquote]
इस बार महाशिवरात्रि के अवसर पर सम्पूर्ण मंदिर को पीले वस्त्रों एवं पीले पुष्प और इलेक्ट्रॉनिक झालरों की लारियो से सु-सोभित किया गया था, जिससे मंदिर कर दृस्य अत्यंत अलौकिक प्रतीत हो रहा था, लाइन लागे श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के मुख्य द्वार पर एक बड़ी प्रोजेक्शन स्क्रीन लगाई गई थी जिससे गर्भ ग्रह मे होने वाली समस्त धर्मिक अनुष्ठानों का दर्शन सुचारु रूप से किया।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]भीड़ ने थोड़ा पिछले कई वर्षों का रिकॉर्ड[/penci_blockquote]
महशिवरात्रि पर दर्शन करने वाले भक्तो की भीड़ ने इस बार पिछले कई वर्षो का रिकॉर्ड थोड़ दिया मुख्य द्वार से आरम्भ हुई पुरुष एवं महिलाओं की पंक्ति सुबह ८ बाजे तक डालीगंज स्थित मनकामेश्वर चौराहे तक पहुंच गई थी।
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