भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डा0.महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने अखिलेश यादव की विपक्षी दलों की बुलाई बैठक में बसपा-कांग्रेस के ना पहुंचने पर चुटकी ली. डा. पाण्डेय ने कहा कि अखिलेश यादव पार्टी में आंतरिक कलह से जूझ रहे हैं. उनके चाचा और सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव लगातार विरोध का झण्डा बुलन्द किए हुए है. लोकसभा, विधानसभा के बाद निकाय चुनावों में भाजपा की प्रचण्ड जीत ने अखिलेश यादव की बैचेनी बढ़ा दी है. भाजपा के बढ़ते प्रभाव और सपा में आन्तरिक दबाव के कारण अखिलेश यादव ने विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास किया था जो पूरी तरह असफल सिद्ध हुआ.

EVM पर सवाल उठाना हास्यप्रद

बसपा सुप्रीमों के साथ बुआ का रिश्ता जोड़ने वाले अखिलेश यादव को आज रिश्ता टूटते दिखा है और विधानसभा चुनावों में साथ पसन्द करने वाले कांग्रेसी भी सपा का साथ छोड़ गए. डा0 पाण्डेय ने कहा अखिलेश यादव ईवीएम के बहाने विपक्ष को एकजुट कर अपनी पार्टी के बिगड़ते समीकरणों को साधने का असफल प्रयास कर रहे थे. अखिलेश यादव आस्ट्रेलिया से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर लौटे है ऐसा उनका दावा है जबकि ईवीएम पर प्रश्न खडे कर वो अपनी डिग्री पर ही प्रश्न खड़े कर ले रहे है. विदेश से उच्च शिक्षित टेक्नोफ्रेंडली अखिलेश यादव का ईवीएम पर प्रश्न खड़े करना हास्यास्पद है, जबकि निकाय चुनावों में जहां बैलट पर चुनाव हुए है वहां भी सपा ने मुँह की खाई है और भाजपा ने सपा से अधिक सीटें जीती हैं.

अखिलेश यादव को हार से लेना चाहिए सबक

जाति-जमात की राजनीति करने वालों को चुनाव परिणामों से सबक लेना चाहिए और जनता के मूड को समझना चाहिए. अपनी पार्टी को संभालने में विफल साबित हो रहे अखिलेश यादव को विपक्ष को एकजुट करने के बजाय अपनी पार्टी को  एकजुट करना चाहिए. बसपा, कांग्रेस का बैठक में शामिल न होना अखिलेख यादव के लिए स्पष्ट संदेश है.

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