उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिला में गुरुवार सुबह एक तेज रफ्तार खाली डीसीएम ट्रक अगला टायर फटने के कारण अनियंत्रित होकर एक स्कूली बस से टकरा गई। टक्कर लगने के बाद स्कूल बस गड्ढे में जा गिरी। गनीमत थी कि इस बस में बैठे सभी बच्चे सुरक्षित बच गए। हादसे में एक बच्चा और ड्राइवर को मामूली चोटें आईं हैं। बच्चों को पीछे आ रहा दूसरी बसों से स्कूल भेजा गया। डीसीएम के चालक को हाथ पैर में चोट आई है उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गनीमत रही कि इस भीषण दुर्घटना में बच्चे बाल-बाल बच गए।
जर्जर हो चुका था डीसीएम का टायर
जानकारी के मुताबिक, गोरखपुर के बेलीपार थाना क्षेत्र के नौसढ़ चौराहे के पास बरहुआ की ओर से आ रही एक खाली डीसीएम ( यूपी 32 इएन 8092) का नौसढ़ चौराहे से करीब 500 मीटर पहले अगला दाहिना टायर फट गया। बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले ही उस टायर को बदल कर लगाया गया था। टायर पूरी तरह से खराब था। तेज गति में आरही डीसीएम टायर फटने से अनियंत्रित हुई और डिवाइडर पर लगे लैंप पोल को गिराते हुए दूसरी साइड आ गई। इसके बाद डीसीएम ट्रक अनियंत्रित हो गई और डिवाइडर पर लगे लैंप पोल को गिराते हुए दूसरे साइड से गीडा जा रही लिटिल फ्लावर गीडा की बस में टकरा गई। बस के ड्राइवर ने काफी कोशिश की लेकिन बच्चों से भरी बस करीब 10 से 12 फीट नीचे गड्ढे में जा गिर गई।
बस में बच्चों के साथ बैठे थे कई शिक्षक
प्रत्यक्षदर्शी हबुन्निशा ने बताया कि आज सुबह मैं घर के सामने बर्तन धुल रही थी, तभी जोर की आवाज हुई, हम डर गए। अचानक स्कूली बस हमारे घर के सामने आकर गिरी। उसमे बच्चे चिल्ला रहे थे, ऊपर वाले का शुक्र है कि सभी बच्चे सुरक्षित हैं, कुछ को मामूली चोट आई हैं। प्रत्क्षदर्शी साजिद अली ने बताया कि मैं घर में था, तभी जोर की आवाज हुई। बाहर देखा तो घर के ठीक सामने स्कूली बस टंकी से टकराकर रुकी थी। बच्चे चिल्ला रहे थे। सभी बच्चे सुरक्षित थे, यह संयोग ही रहा।
वहां से गुजर रही लिटिल फ्लावर गीडा की बस नम्बर 8 के ड्राइवर ने खतरे को भांपते हुए बस को किनारे करने की कोशिश की लेकिन उसकी बॉडी बस से रगड़ गयी और बस बाएं गड्ढे में जा गिरी। वहां साजिद अली के घर के सामने बनी शौचालय की टंकी से टकरा कर रुकी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बहुत तेज आवाज हुई। बच्चे चिल्लाने लगे। संयोग रहा कि किसी को गंभीर चोट नहीं आयी। बस में कुछ शिक्षक भी थे। पीछे से आ रही स्कूल की बस नम्बर 11 व अन्य बसों में बैठाकर बच्चों को स्कूल भेजा गया। वहां से उन्हें घर भेज दिया गया।