मकर संक्रांति का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है भले ही अलग-अलग प्रांतों में इसके नाम अलग हों और इसकी मान्यताएं अगल हों लेकिन कुछ चीजें इस त्योहार से ऐसे जुड़ी हैं जिन्हें पूरा देश मानता है और वह है मकर संक्रांति के दिन प्रातः स्नान दान और तिल और खिचड़ी का सेवन ।
मकर सक्रांति को स्पेशल बनाती है खिचड़ी-
मकर संक्रांति के दिन लोग खिचड़ी बनाते हैं और सूर्य देव को खिचड़ी प्रसाद स्वरूप अर्पित करते हैं सूर्य देव भी इस दिन भक्तों से प्राप्त खिचड़ी का स्वाद बड़े आनंद से लेते हैं आखिर ऐसा क्यों न हो, इस दिन खिचड़ी बनाने और इसे ही प्रसाद स्वरूप देवाताओं को अर्पित करने की परंपरा शुरू करने वाले भगवान शिव जो माने जाते हैं खिचड़ी की बात सुनकर अगर आपको पिछले साल की खिचड़ी याद आ रही है तो हो सकता है कि मुंह में पानी आ गया हो। साल भर में आपने भले ही कितनी ही बार खिचड़ी खायी हो लेकिन मकर संक्रांति जैसी खिचड़ी का स्वाद आपको सिर्फ मकर संक्रांति के मौक पर ही मिल सकता है।
ये भी एक मान्यता-
मान्यता है कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा की शुरूआत हुई यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। खिचड़ी बनने की परंपरा को शुरू करने वाले बाबा गोरखनाथ थे बाबा गोरखनाथ को भगवान शिव का अंश भी माना जाता है कथा है कि खिलजी के आक्रमण के समय नाथ योगियों को खिलजी से संघर्ष के कारण भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था इससे योगी अक्सर भूखे रह जाते थे और कमज़ोर हो रहे थे इस समस्या का हल निकालने के लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाने की सलाह दी यह व्यंजन काफी पौष्टिक और स्वादिष्ट था इससे शरीर को तुरंत उर्जा भी मिलती थी नाथ योगियों को यह व्यंजन काफी पसंद आया बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा ।