Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
Uttar Pradesh

मल्टीलेवल पार्किंग की लिफ्ट में आधा घंटा फंसा रहा युवक

man stuck in multi level parking lift hazratganj lucknow

राजधानी लखनऊ के हजरतगंज स्थित मल्टी लेवल पार्किंग में शनिवार सुबह एक कर्मचारी लाइट चली जाने से लिफ्ट में फंस गया। लाइट जाने से लिफ्ट तीसरे तल पर अटक गई थी। मदद के लिए कर्मचारी ने आवाज लगानी शुरू कर दी। सूचना पाकर कर्मचारी दौड़े और लिफ्ट ऑपरेटर को बुलाया। इसके बाद युवक को सकुशल बाहर निकाल लिया गया। इस दौरान करीब आधे घंटे से ज्यादा युवक लिफ्ट के अंदर फंसा रहा और बाहर निकलने की कोशिश करता रहा।

बाहर निकलने की जद्दोजहद करता रहा युवक

जानकारी के मुताबिक, मल्टी लेवल पार्किंग में शनिवार सुबह करीब 10:55 बजे रंगी लाल नाम का कर्मचारी काम से तीसरे तल पर गया था। वह नीचे आने के लिए लिफ्ट में सवार हुआ वैसे ही अचानक बिजली चली गई। लाइट जाने से लिफ्ट फंस गई। लाइट आ जाने के बाद भी लिफ्ट नहीं खुली तो कर्मचारी लिफ्ट के भीतर चिल्लाने लगा। शोर सुनकर कर्मचारी दौड़े और लिफ्ट ऑपरेटर को बुलाया। करीब आधे घंटे बाद जब लिफ्ट ऑपरेटर मौके पर पहुंचा तो लिफ्ट खुलवाकर युवक को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इस दौरान कर्मचारी लिफ्ट के भीतर हलकान रहा।

सरकारी भवनों की लिफ्टें मरम्मत के अभाव में खराब

राजधानी लखनऊ के सरकारी कार्यालयों में लगी लिफ्ट अब जानलेवा साबित होती जा रही है। सरकारी कार्यालयों में लिफ्ट के रखरखाव की क्या स्थिति है इसकी बानगी आज फिर देखने को मिली। इससे पहले भी सीएम कार्यालय से लेकर केजीएमयू सहित कई सरकारी भवनों की लिफ्टें फंस चुकी हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री सहित उनकी पत्नी तक फंस चुकी हैं।
12 अगस्त 2015 को ट्रॉमा सेंटर की लिफ्ट खराब होने से प्रसूता शिवकांती (23) ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। उसी लिफ्ट में एक रेजीडेंट डॉक्टर भी बेहोश हो गया। सिटी मजिस्ट्रेट ने जांच में अनियमितता पाई। लेकिन बात आई गई हो गई और किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह मुद्दा न सदन में गूंजा और न ही शासन के किसी अधिकारी ने इसका संज्ञान लिया।
6 दिसम्बर 2015 को डालीबाग के बहुखंडी मंत्री आवास में दो विधायक लिफ्ट में फंस गए थे। उन्होंने इस मुद्दे को सदन में उठाने का फैसला कर लिया। बड़ा सवाल यह है कि जब एक आम इंसान की मौत होने पर विधायक जी की आंखें नहीं खुलती हैं। जब खुद की जान पर आई तो व्यवस्था पर सवाल उठने लगे।
18 दिसम्बर 2015 उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनकी सांसद पत्नी डिंपल यादव उत्तर प्रदेश विधानसभा की लिफ्ट में फंस गये थे। उन दोनों को लगभग आधे धंटे की मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया था लिफ्ट से बाहर निकलने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तीन इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया गया था।
14 सितंबर 2017 को पीजीआई थाना क्षेत्र स्थित आवास विकास की वृंदावन योजना स्थित एक अपार्टमेंट में दोपहर लाइट जाने से लिफ्ट बीच में अटक गई और युवक फंस गया था। मदद के लिए आवाज लगाने के साथ ही अलार्म बजाने के बावजूद किसी के न पहुंचने पर सौ नम्बर डायल किया। सूचना पर पहुंची पुलिस टीम ने लिफ्ट खुलवाकर युवक को सुरक्षित निकाल लिया था।

इंदिरा भवन में वर्ष 1993 में आठ लिफ्ट लगी थीं। इनमें से दो लिफ्ट खराब हो गई हैं। जवाहर भवन-इंदिरा भवन कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष ने बताया कि 14 मई 2013 को राज्य संपत्ति अधिकारी राज किशोर यादव ने निर्देश दिया था कि इंदिरा भवन की जर्जर हो चुकी लिफ्ट बदली जाएंगी। लेकिन अभी तक कोई झांकने नहीं आया। जवाहर भवन की सभी दस लिफ्ट फिलहाल ठीक काम कर रही हैं। लेकिन इनका भी काफी समय से मेंटिनेंस नहीं कराया गया है।

बीते दिनों आग लगने से सुर्खियों में आए बापू भवन के हालात भी ठीक नहीं हैं। वहां 11 लिफ्ट लगी हैं, जिसमें 8 लिफ्टें खराब हैं। इनका मेंटिनेंस नहीं कराया जा रहा है। ये लिफ्टें कब और कहां फंस जाएं इसका कोई भरोसा नहीं। मारे डर के लोग सिर्फ तीन लिफ्टों का ही इस्तेमाल करते हैं।

विधानसभा, शक्ति भवन, बापू भवन, जवाहर भवन, डालीबाग स्थित बहुखंडी मंत्री आवास, ट्रॉमा सेंटर समेत सभी सरकारी भवनों में लिफ्टें लगी हैं। सूत्रों के मुताबिक लिफ्टें लगाने के बाद उनका रेगुलर मेंटिनेंस नहीं कराया जाता है। जिससे ये लिफ्ट अक्सर खराब हो जाती हैं।

ये हैं जरुरी निर्देश

➡सभी जगहों पर लगाई गई या लगाई जाने वाली लिफ्ट प्रमाणित कंपनी की हो। इसके अलावा विद्युत सुरक्षा निदेशालय की अनुमति प्राप्त हो।
➡जिन जगहों पर लिफ्ट लगी हो, उस कंपनी से रख-रखाव का एंग्रीमेंट होना जरूरी है।
➡लिफ्ट चालू रहने के दौरान लिफ्ट चालक जरूर मौजूद रहें।
➡लिफ्ट का इमरजेंसी अलार्म पूरी तरह काम कर रहा हो।
➡लिफ्ट के अंदर और बाहर हिंदी-अंग्रेजी में सुरक्षा एवं बचाव के तरीके स्पष्ट शब्दों में लिखें हों।
➡सभी लिफ्ट में इमरजेंसी कॉलिंग सुविधा है या नहीं? इसकी जांच की जाए।
➡लिफ्ट में तकनीकी खराबी होने की स्थिति में उसमें फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए बिल्डिंग में जरूरी उपकरण हैं या नहीं। इसकी भी जांच की जाए।
➡लिफ्ट के अंदर और बाहर इमरजेंसी कॉन्टेक्ट नंबर मसलन लिफ्ट ऑपरेटर, लिफ्ट कंपनी के सर्विस प्रोवाइडर, संस्था का हेल्प डेस्क नंबर, विद्युत सुरक्षा निदेशालय का हेल्पलाइन नंबर और अस्पतालों के नंबर दर्ज होना जरूरी है।

ये भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश: 24 घंटे में 7 एनकाउंटर, 7 बदमाश गिरफ्तार 6 सिपाही घायल

ये भी पढ़ें- रेलवे की हाईटेंशन लाइन पर चढ़ा सनकी युवक, तमाशा देखते रहे लोग

Related posts

शोहदों से तंग आकर नौवीं कक्षा की छात्रा ने फांसी लगाकर की आत्महत्या

Bharat Sharma
6 years ago

मथुरा-वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के साथ चल रही एस्कॉर्ट जिप्सी कार अनियंत्रित होकर मांट ब्रांच गंग नहर में पलट गई

Desk
3 years ago

बुलंदशहर : 2 किसानो की बिजली की चपेट में आने से मौंत

kumar Rahul
7 years ago
Exit mobile version