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सीतापुर: बुखार बना काल पर न मिल रही एम्बुलेंस सेवा और न साफ़ पानी

many died from viral fever not get Ambulance service and clean water

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उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में संक्रामक बिमारी से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. लेकिन वहीं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही. एक ओर जहाँ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मरने वालों के आंकड़े ही गलत बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मरीज़ को एम्बुलेंस सेवा तक उपलब्ध करवाने के नाम पर डीज़ल न मिलने का बहाना बना रहे हैं. वहीं प्रशासन भी अपने स्तर पर संक्रामक बुखार को रोकने में फेल नजर आ रही है. न तो स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध हो पा रहा है और न ही गाँव के हालतों का जायजा लेने अब तक डीएम पहुंचे हैं. 

संक्रामक बुखार से अब तक 60 की मौत:

सीतापुर जिले में महामारी का कहर लगातार जारी है. जिसके चलते अब तक मौतों का आंकड़ा 60 के ऊपर पहुंच चुका है लेकिन वहीं इस मामले में प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग लापरवाही पर लापरवाही बरत रहे हैं.

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स्वास्थ्य विभाग मामले की गम्भीरता को या तो समझ नहीं रहा या लापरवाह अधिकारियों की अनदेखी के कारण इलाज के नाम पर खानापूर्ति कर रहे हैं.

अधिकारी दे रहे 11 मौतों का आंकड़ा:

बता दें कि ब्लाक गोंदलामऊ के नटवल ग्रंट के केवल जमुनापुर गांव मे संक्रामक बुखार से 11 लोगों की मौत हो चुकी है.

देखा जाए तो आज का सीतापुर में वायरल बुखार से मौत का आंकड़ा 60 के ऊपर पहुंच चुका है.

वहीं जब इस बाबत एडिशनल सीएमओ से बात की गई तो उन्होंने बुखार से मात्र पूरे जनपद में 11 लोगों की मौत की पुष्टि की. जबकि लगातार महामारी का कहर जारी है.

डीज़ल न मिलने का बहाना बनाकर नहीं दे रहे एम्बुलेंस सुविधा:

स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन की लापरवाही इस तरह से सामने आ रही है कि पीड़ित मरीज को कई घंटे बीत जाने के बाद भी एंबुलेंस सेवा नहीं दी जा रही है.

वहीं मरीज़ के परिजनों से इस लापरवाही का कारण बताया गया कि डीज़ल नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते एंबुलेंस नहीं दे सकते.

स्वच्छ पानी का टैंकर भी 3 दिन से खाली:

वहीं संक्रामक बिमारी का मुख्य कारण माने जाने वाला दूषित पानी, बिमारी के बाद भी ग्रामीण पीने को मजबूर हैं. इसका कारण है स्वच्छ पानी न उपलब्ध करवाना.

बता दें कि गांव के दूषित पानी से बढ़ रही बीमारी को देखते हुए स्वच्छ पानी का टैंकर भेजा गया था जो आज 3 दिन से खाली खड़ा है. जिस कारण गांव वाले दूषित पानी पीने को मजबूर है.

इतना ही नहीं. अभी तक नटवल ग्रंट में इतनी मौतों के बाद भी जिलाधिकारी ने गांव में निरीक्षण करने नहीं पहुंचे.

वहीं बात करें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आर के नैयर की तो जब उनसे इस बाबत सवाल किये गये तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर दिया.

सवाल:

अब सवाल उठता है कि कब तक ऐसे ही लापरवाही के चलते लोग मरते रहेंगे?

आखिर लोग कब तक इस महामारी के कहर का शिकार होते रहेंगे?

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