उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिला में एक दूल्हे ने बिना दहेज लिए थाने में शादी करके मानवता की मिसाल पेश की है। दूल्हे के घरवालों ने दुल्हन पक्ष की दिक्कतों को समझते हुए बिना दहेज के थाने में शादी कर की है। ये विवाह समाज के लिए एक नजीर बन गया। इस तरह की सार्थक कोशिशें आने वाले समय में समाज से दहेज प्रथा जैसी कुरीति को समाप्त करने के अभियान में मील का पत्थर साबित होंगी। पुलिसकर्मियों ने इस नवविवाहित जोड़े की खूब प्रशंसा की है। साथ ही अब ये दूल्हा दुल्हन की कहानी सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है।
ससुराल वालों की स्थिति देख पुलिस से किया था संपर्क
जानकारी के मुताबिक, मामला लहरपुर कोतवाली इलाके के नेरिया परसिया गांव का है। यहां के संजय की पुत्री कोमल का विवाह दो वर्ष पहले हरगांव थाना क्षेत्र के मूसेपुर गांव निवासी गोविन्द प्रसाद पुत्र सतीश के साथ तय हुआ था, लेकिन लड़की पक्ष की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते लगातार शादी की तारीख आगे बढ़ रही थी। गोविंद के ससुरालवाले दहेज न जुटा पाने की वजह से शादी की तारीख को आगे बढ़ा रहे थे। गोविंद को जैसे ही यह आभास हुआ कि उसके ससुर दहेज का जुगाड़ न कर पाने की वजह से शादी की तारीख आगे बढ़ा रहे हैं, तो उसने थाने में जाकर पुलिस से संपर्क किया। गोविंद ने पुलिस को बताया कि वह बिना दहेज के शादी करने को तैयार है। बस मेरे ससुरालवालों को राजी कर लें।
थाने में हुई शादी, पुलिस वाले बने बाराती
आखिर दोनों पक्षों में शादी की तारीख पर सहमति बनी और बीती पांच फरवरी को तिलक की रस्म अदा की गई। 26 अप्रैल को शादी की तारीख तय हुई। दोनों पक्षों की ओर से शादी की तैयारियां शुरू हो गई, लेकिन इस बार भी संजय व उसकी पत्नी विजय कुमारी ने अपनी पुत्री की शादी को लेकर जो सपने संजोए थे, उसमें एक बार फिर उसकी आर्थिक हालत बाधा बन गई। एक बार फिर संजय ने वर पक्ष से शादी की तारीख आगे बढ़ाने का अनुरोध किया, लेकिन वर गोविन्द व उसके पिता ने संजय को आश्वस्त करने की कोशिश की कि उन्हें शादी में कोई दहेज नहीं चाहिए। वो उनकी पुत्री को दो जोड़ी कपड़ों में विदा करा ले जाएंगे, लेकिन संजय बार-बार तारीख आगे बढ़ाने का अनुरोध करते रहे। वर पक्ष की ओर से मामला कोतवाली पहुंचा। परिसर में स्थित मंदिर में ईश्वर को साक्षी मान कर दोनों ने वैवाहिक जीवन में कदम रखा। हर कोई वर पक्ष के इस कार्य की सराहना कर रहा है।