सीएम की सुपारी लेने वाले डॉन श्री प्रकाश शुक्ला का नाम जुबान पर आते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वैसे तो उत्तर प्रदेश के कई ऐसे माफिया रहे हैं, जिनका नाम अंडरवर्ल्ड से जुड़ा रहा है। लेकिन इनमें एक नाम ऐसा भी था जो यूपी में आतंक और खौफ का दूसरा नाम बन गया था। जो 90 के दशक में यूपी का सबसे बड़ा डॉन बन गया था। जिसके नाम से जनता ही नहीं बल्कि पुलिस और नेता भी थरथर कांपने लगते थे। अखबारों के पन्ने हर रोज उसी की सुर्खियों से रंगे होते थे। यूपी के सबसे खतरनाक माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला ने देश के सबसे बड़े प्रदेश में आतंक का राज कायम कर दिया था।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]शहीद दरोगा की जांबाजी और शौर्य को याद कर खड़े हो जाते हैं रोंगटे [/penci_blockquote]
राजधानी में 21 साल पहले शहीद हुए की जांबाजी और शौर्य को याद कर आज भी पुलिस कर्मियों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला से हजरतगंज स्थित जनपथ मार्केट में हुई मुठभेड़ के दौरान सिर में छह गोलियां लगने के बाद भी करीब 10 मिनट तक मोर्चा संभाले रहे थे। उधर, मार्केट के दूसरे गेट पर मुठभेड़ में लगे पुलिस टीम का नेतृत्व कर रहे आईपीएस राजेश कुमार पांडेय और उनके साथियों ने माफिया डॉन के दाहिने हाथ कहे जाने वाले तुनियांराम को मार गिराया था।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]जनपथ मार्केट में हुई थी मुठभेड़ [/penci_blockquote]
आईपीएस राजेश पांडेय ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली थी कि माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला जनपथ मार्केट स्थित बाम्बे हेयर कटिंग सैलून और ताज होटल स्थित एक सैलून में दाढ़ी बनवाने जाता है। चार दिनों से दोनों जगह जाल बिछाया जा रहा था पर वह नहीं मिला। नौ सितंबर को पुख्ता सूचना मिली कि वह जनपथ मार्केट पहुंच रहा है। इस पर टीम के साथ घेराबंदी की गई थी। आईपीएस राजेश पांडेय बताते हैं कि नौ सितंबर 1997 की शाम सूचना मिली माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला गिरोह के शातिर अपराधियों के साथ हजरतगंज जनपथ मार्केट स्थित बाम्बे हेयर कटिंग सैलून पहुंच रहा है। उसके साथ में जो अपराधी हैं उनके पास एके 47 और पिस्टल भी है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]श्रीप्रकाश शुक्ला दो अन्य बदमाशों के साथ पीछे था [/penci_blockquote]
इस पर एएसपी पश्चिम सत्येंद्र वीर सिंह के पेशकार दारोगा रवींद्र कुमार सिंह, गनर रणकेंद्र सिंह के साथ जनपथ मार्केट पहुंचे। कुछ देर बाद पांच लोग आते दिखाई दिए। आशंका पर आगे झोला लेकर चल रहे बदमाश को रोकने का प्रयास किया गया तो वह भिड़ गया। इस पर बदमाश से भिड़कर उसे गिरा दिया। झोला हाथ से छूटा तो उसमे एके 47 रखी थी। श्रीप्रकाश शुक्ला दो अन्य बदमाशों के साथ उनके पीछे था। खुद को फंसता देख श्रीप्रकाश शुक्ला दो अन्य साथियों के साथ पीछे के रास्ते भागने लगा। दारोगा रवींद्र कुमार ने उनका पीछा किया और पिछले गेट पर श्रीप्रकाश शुक्ला को दबोच लिया।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]रवींद्र के सिर में छह और सीने में लगी थी दो गोलियां [/penci_blockquote]
आईपीएस राजेश पांडेय ने बताया कि उनकी और गनर रणकेंद्र सिंह की मार्केट के अंदर बदमाश से भिड़ंत चल रही थी। बाहर रवींद्र कुमार ने श्रीप्रकाश शुक्ला व उसके साथियों से लोहा लिए थे। उन्होंने मार्केट के अंदर बदमाश को मार गिराया। इस बीच बाहर गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई थी। वह भाग कर पहुंचे तो श्रीप्रकाश और उनके साथी भागते दिखाई दिए। जबकि दारोगा रवींद्र खून से लथपथ हालत में तड़प रहे थे। तत्काल पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना देकर दारोगा रवींद्र को अस्पताल पहुंचाया गया। जहां, डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। रवींद्र के सिर में छह गोलियां और दो सीने में लगी थी।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]श्रीप्रकाश को रवींद्र ने दबोच रखा था [/penci_blockquote]
जानकारी करने पर पता चला कि श्रीप्रकाश को रवींद्र ने दबोच रखा था। तब उसके साथियों ने दारोगा रवींद्र की पिस्टल छीन ली थी और उन पर गोलियां बरसा दी थी। छह गोलियां सिर में लगने के बाद भी दारोगा रवींद्र निढाल नहीं हुए। अंत में दो गोलियां और मारी जिसके बाद बहादुर दारोगा पस्त होकर गिर पड़े थे। मारा गया खूंखार अपराधी बिहार का रहने वाला तुनियाराम था।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]राकेश की हत्या करने के बाद तलाश रही थी पुलिस बैंकॉक भाग गया था शुक्ला[/penci_blockquote]
अपने गांव में राकेश की हत्या करने के बाद पुलिस शुक्ला की तलाश कर रही थी। मामले की गंभीरता को समझते हुए श्रीप्रकाश ने देश छोड़ना ही बेहतर समझा और वह किसी तरह से भाग कर बैंकॉक चला गया। वह काफी दिनों तक वहां रहा लेकिन जब वह लौट कर आया तो उसने अपराध की दुनिया में ही ठिकाना बनाने का मन बना लिया था। श्रीप्रकाश के साथ पुलिस का पहला एनकाउंटर 9 सितंबर 1997 को हुआ। पुलिस को खबर मिली कि श्रीप्रकाश अपने तीन साथियों के साथ सैलून में बाल कटवाने लखनऊ के जनपथ मार्केट में आने वाला था। पुलिस ने चारों तरफ घेराबंदी कर दी। लेकिन यह ऑपरेशन ना सिर्फ फेल हो गया बल्कि पुलिस का एक जवान भी शहीद हो गया। इस एनकाउंटर के बाद श्रीप्रकाश शुक्ला की दहशत पूरे यूपी में और ज्यादा बढ़ गई।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या की ले ली थी सुपारी[/penci_blockquote]
इस कत्ल के साथ ही श्रीप्रकाश ने साफ कर दिया था कि अब पूरब से पश्चिम तक रेलवे के ठेकों पर उसी का एक छत्र राज है। बिहार के मंत्री के कत्ल का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि तभी यूपी पुलिस को एक ऐसी खबर मिली जिससे पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। श्रीप्रकाश शुक्ला ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सुपारी ले ली थी। 6 करोड़ रुपये में सीएम की सुपारी लेने की खबर एसटीएफ के लिए बम गिरने जैसी थी।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]कौन है श्रीप्रकाश शुक्ला[/penci_blockquote]
श्रीप्रकाश शुक्ला का जन्म गोरखपुर के ममखोर गांव में हुआ था। उसके पिता एक स्कूल में शिक्षक थे। वह अपने गांव का मशहूर पहलवान हुआ करता था। साल 1993 में श्रीप्रकाश शुक्ला ने उसकी बहन को देखकर सीटी बजाने वाले राकेश तिवारी नामक एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। 20 साल के युवक श्रीप्रकाश के जीवन का यह पहला जुर्म था। इसके बाद उसने पलट कर नहीं देखा और वो जरायम की दुनिया में आगे बढ़ता चला गया।
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