मथुरा – भाई दूज (यम द्वितीया) के पर्व पर यमुना के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़
मथुरा –
भाई दूज (यम द्वितीया) के पर्व पर यमुना के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली ,यहां यम द्वितीया के पावन पर्व पर आस्था के साथ देश के कोने कोने से आए भाई -बहनों ने यमुना में एक साथ डुबकी लगाकर यम के फांस से मुक्ति पाई ..
सूर्य ग्रहण होने की बजह से अबकी बार भाई दूज(यमद्वितीया )के पर्व को एक दिन पीछे हटा दिया गया, इस पर्व को दीपावली के अगले दिन मनाने की मान्यता है ।
भाई दूज के पावन पर्व पर मथुरा के यमुना जी के घाटों पर यम के फांस से मुक्ति पाने के लिए भाई बहन ने एक साथ यमुना में स्नान किया, प्रशासन के सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम रहे,
दीपावली के दूसरे दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है, इसे यमद्वितीया भी कहते हैं इस दिन बहनें भाई के मस्तक पर टीका लगाकर उसकी दीर्घायु की कामना करती है.
मान्यता है कि इस दिन भाई अपनी बहन को यमुना में स्नान कराएं इसके बाद भाई को बहन तिलक करे. और भोजन कराए. जो भाई-बहन यम द्वितीया के दिन इस प्रकार दूज पूजन की रस्म पूरी करने के बाद भोजन करते हैं. यमराज के भय से मुक्ति पाते हैं. उन्हें मृत्यु के पश्चात स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा.
मान्यता है कि भगवान सूर्य की पत्नी का नाम छाया था जिनकी कोख से यमराज और यमुना मैया का जन्म हुआ .यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती है. वह उनसे बराबर निवेदन करती थी कि वह घर आकर भोजन करे . लेकिन यमराज व्यस्तता के चलते वहां नहीं पहुंच पाते. आखिर कार्तिक पक्ष की द्वितीया को यमराज भोजन करने के लिए बहन यमुना के घर पहुचे . बहन के घर जाते वक्त यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. हर्ष विभोर होकर बहन यमुना ने भाई यमराज का स्वागत सत्कार कर भोजन कराया. भोजन के बाद यमराज ने यमुना को वरदान दिया कि आज के दिन जो भाई-बहन यमुना में स्नान करेंगे, उन्हें मेरा भय नहीं सताएगा और स्वर्ग की प्राप्ति होगी. तभी से मान्यता है कि आज के दिन जो भाई बहन एक साथ यमुना में स्नान करते हैं उन्हें यम के फांस से मुक्ति और दीर्घायु मिलती है.
बाईट- श्रद्धालु,
बाईट-स्थानीय पुजारी
Report:- Jay