मोरारी बापू ने वृंदावन में ठाकुरजी के किए दर्शन
पुरुषोत्तम मास के पवित्र सोमवार के अवसर पर विश्व प्रसिद्ध कथाकार परम पूज्य मोरारी बापूजी ने पवित्र धाम वृंदावन में ठाकुरजी के दर्शन किए। इस अवसर पर बापूजी के साथ योग गुरु स्वामी रामदेव बाबा, श्री परमात्मानंद सरस्वती कर्षिणी गुरु श्री शरणानंदजी महाराज और गीतामणि श्री स्वामी ज्ञानानंदजी भी ठाकुरजी वृंदावन पहुंचे। पूज्य बापूजी ने कहा कि पुरुषोत्तम मास में ब्रजराज के दर्शन करने से मेरे मन को बहुत शांति मिली है। दाउजी की परिक्रमा करके ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा के पुण्य का लाभ प्राप्त हुआ है। पवित्र मंदिर में संतों के आगमन की खबर से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और उन्होंने फूलों की बौछार के साथ संतों का स्वागत किया।
इससे पहले मोरारी बापूजी ने मथुरा में बलदेव धाम में दाऊजी मंदिर में बलदेव और रेवती मैया के दर्शन किए थे। इस अवसर पर अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पाठक, संत गुरुशरणानंद महाराज, योगाचार्य रामदेव और संत ज्ञानानंद भी उपस्थित थे। मोरारी बापू आगरा से पहले कर्षणी आश्रम रमनरती पहुंचे।
शीघ्र ही गिरनार की चोटी पर कमंडल कुंड से कथावाचक मोरारी बापू द्वारा रामकथा का आयोजन होने जा रहा है। यह बापू की 849 वीं रामकथा है। यह सोरठ के अवधूत जोगंदर के समान गिरनार पर्वत पर पहली ऐतिहासिक रामकथा है। एक अद्भुत जगह में कोरोना के कठिन समय के दौरान श्रोता के बिना बापू की यह छठी रामकथा है। नवरात्री के शुभ अवसर पर कथावाचन 17 अक्टूबर को सुबह 9:30 बजे शुरू होगा। बापू के भक्त रामकथा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, कोरोना महामारी और सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करने वाले भक्तों की सुरक्षा के बीच सामाजिक दूरी को देखते हुए रामकथा वर्च्युअल होगी। वर्तमान माहौल में बापू की रामकथा भक्तों के लिए मन में शांति लाएगी।
गोरखनाथ का शिखर गिरनार पर्वत पर दत्तात्रेय तुक की ओर जाता है, रास्ते में ‘कमंडल कुंड’ आता है। भोजन क्षेत्र भी 3000 फीट की ऊँचाई पर चलता है। इससे पहले भी जूनागढ़ शहर और पन्थ में रामकथा का आयोजन हुआ है। मोरारी बापू जो की हिमालय में कैलाश-मानसरोवर, नीलगिरि पर्वत पर, बर्फानी बाबा अमरनाथ के साथ-साथ चार धाम-बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमनोत्री और गंगोत्री जैसे दुर्गम क्षेत्रों में रामकथा गा चुके है। पहली बार गिरनार पर्वत पर रामकथा गाने जा रहे है। इससे पहले तुलसी-श्याम, जो कि गिरनारी पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है, माँ रूक्मिणीजी के चरणों में रामकथा गाई गई थी।
नवरात्रि अनुष्ठानों के दिनों में कथा श्रवण के लाभ का आनंद लेने के लिए लाखों श्रोताओं को 17 अक्टूबर का बेसब्री से इंतजार है। कथा का लाइव प्रसारण आस्था चैनल के साथ-साथ यूट्यूब पर भी देखा जा सकता है।