आगामी लोक सभा चुनावों के पहले कांग्रेस को 3 राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत से संजीवनी मिली है। कांग्रेस की तीनों राज्यों की सरकारों के शपथ ग्रहण समारोह में देश भर से तमाम विपक्ष के नेताओं को बुलाया गया था। कई बड़े विपक्षी दल इस शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे लेकिन बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमों मायावती ने शिरकत नहीं की। उनके साथ ही सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी आमंत्रण मिलने के बावजूद कार्यक्रम शिरकत नहीं की थी। सपा-बसपा के इस कदम को यूपी में गठबंधन के नए दांव-पेच के रूप में देखा जा रहा है।

वादा करने के बाद भी नहीं पहुंचे अखिलेश :

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन परवान चढ़ रहा है लेकिन कांग्रेस को अपने गठबंधन में शामिल न करने के पीछे कई वजह हैं। चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को गठबंधन में शामिल करने पर उसे कम से कम 20 सीटें देनी पड़ेंगी और इतनी सीटें देने के लिए न तो मायावती राजी होंगी और न अखिलेश यादव।

मध्य प्रदेश के नये मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मायावती के न पहुँचने के कारण पर बताया कि स्वास्थ्य कारणों से मायावती नहीं पहुंच पाईं। इसके लिए उन्होंने पहले ही फोन पर बता दिया था। जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने फोन पर शपथ ग्रहण समारोह में आने का वादा किया था।

कर्नाटक में पहुंचे थे दोनों नेता :

इसके पहले कर्नाटक में नयी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में मायावती और अखिलेश यादव दोनों ने शिरकत की थे। इसके अलावा पहली बार वे सार्वजनिक मंच पर एकसाथ आये थे और अपनी एकजुटता प्रदर्शित की थी। उस वक्त सोनिया गांधी व मायावती के बीच खासी आत्मीयता से मुलाकात भी हुई थी।

इस आयोजन में अखिलेश यादव, ममता बनर्जी समेत समेत विपक्षी दलों के तमाम बड़े नेता शामिल हुए थे। उस वक्त बसपा ने जद सेकुलर के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन यूपी के हालात खासे जुदा हैं और बसपा कांग्रेस को बहुत भाव देने के मूड में नहीं दिखती है।

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