आगामी कुछ दिनों में होने वाले यूपी की 10 राज्य सभा सीटों के चुनाव के लिए अभी से बिसातें बिछना शुरू हो गयीं हैं। बसपा की तरफ से इस बार राज्य सभा में पार्टी अध्यक्ष मायावती या उनके भाई आनंद कुमार के जाने की खबरें चल रही थी मगर इन सभी खबरों को अफवाह करार देते हुए बसपा सुप्रीमों ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि इटावा के भीम राव अम्बेडकर को पार्टी की तरफ से राज्यसभा उम्मीदवार बनाया गया है। कई लोगों के लिए भीम राव अम्बेडकर का नाम नया होगा तो आज हम आपको इनके बारे में पूरी खबर विस्तार से बतायेंगे।

राज्यसभा प्रत्याशी भीमराव अम्बेडकर का परिचय :

बसपा सुप्रीमों मायावती ने राज्यसभा भेजे जाने के लिए मूल रूप से औरैया जिले के सैनपुर गाँव के पहले वाले भीमराव अम्बेडकर को चुना है। अम्बेडकर ने अपने जीवन की शुरुआत में वकालत से की थी मगर उनका हमेशा से जुड़ाव बीएसपी से रहा है। 2007 में इटावा की लखना सुरक्षित सीट से इन्होने बीएसपी कैंडीडेट के रूप में चुनाव जीता था। ये इटावा के बीएसपी जिलाध्यक्ष भी रह चुके है। 2017 में भी इन्हें बसपा ने मैदान में उतारा मगर ये चुनाव हार गये थे।

आनंद की जगह अम्बेडकर को दी अहमियत :

बसपा सुप्रीमों मायावती हमेशा से कहती आयीं हैं कि परिवारवाद की उनकी पार्टी में कोई जगह नहीं है। यही कारण है कि मायावती ने खुद या पार्टी उपाध्यक्ष और अपने भाई आनंद कुमार को राज्य सभा भेजने की बजाय पार्टी के एक नेता का चुनाव किया। बसपा सुप्रीमों ने साफ़ किया कि आनंद पार्टी का राजनीतिक नहीं बल्कि व्यवस्थापन कार्य देखते हैं। पार्टी में परिवारवाद को कभी बढ़ावा नहीं दिया जाएगा।

2019 पर है नजर :

दरअसल बसपा सुप्रीमों मायावती लगातार दरकते हुए पार्टी के दलित वोटबैंक के कारण चिंतित हैं। यही कारण है कि खिसकते दलित वोट बैंक पर दोबारा से पकड़ बनाने के लिए मायावती ने पार्टी के कार्यकर्ता और दलित चेहरे भीम राव अंबेडकर को राज्य सभा उम्मीदवार बनाया है। मायावती जानती हैं कि 2014 और 2017 जैसा हाल अगर 2019 में हुआ तो उनके सामने एक बड़ा राजनैतिक संकट खड़ा हो जाएगा। ऐसे में मायावती लोकसभा चुनाव को नजर में रखते हुए फिर से दलित वोटबैंक को एकजुट करने में लग गयीं हैं।

 

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