2019 के लोकसभा चुनावों के पहले गोरखपुर और फूलपुर सीटों पर हुए उपचुनावों में विपक्ष की एकता देखने को मिली थी। इसी एकता के कारण सपा ने भाजपा के सबसे बड़े गढ़ को ढहाते हुए शानदार जीत दर्ज की थी। सपा की इस जीत में सबसे बड़ा हाथ बहुजन समाज पार्टी का था जिसने उपचुनावों में सपा को बिना शर्त समर्थन दिया था। इसके बाद से सपा-बसपा की दोस्ती की चर्चा होना शुरू हो गयीं और लोकसभा चुनावों में दोनों के गठबंधन की बात होने लगी। इस बीच कर्नाटक में पार्टी के प्रचार के लिए पहुंचे बसपा सुप्रीमों मायावती ने सपा से गठबंधन पर काफी खुलकर बात की है।
गठबंधन पर ध्यान दे रही बसपा :
उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के बीच दोस्ती के बाद इसे लंबे समय तक चलाये जाने की कोशिशें होना शुरू हो गयीं हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश से बाहर भी मायावती बसपा को फैलाने में लगी हुई हैं। मायावती की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा दलों से गठबंधन कर गैर भाजपा और गैर कांग्रेसी मोर्चे का गठन किया जाए। दरअसल मायावती इस गठबंधन से देश की पहली दलित महिला प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रही हैं। यही कारण है कि यूपी में सपा से दोस्ती के बाद उन्होंने हरियाणा में INLD और कर्नाटक में जेडीएस के साथ गठबंधन किया है। इसके अलावा अन्य राज्यों में भी पार्टियों से गठबंधन पर बसपा की बात चल रही है।
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सीट बंटवारे के बाद होगा ऐलान :
कर्नाटक में एक रैली को संबोधित करने पहुंची मायावती ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अखिलेश यादव के साथ 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर दोनों दलों के बीच सीटों के समझौते पर सहमति बनने के बाद गठबंधन का ऐलान किया जाएगा। इसके अलावा मायावती ने दक्षिण भारत में एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर के साथ गठबंधन की बात कही है। मायावती ऐसी संभावनाओं को तलाश रही है जिसमे उन्हें कांग्रेस से अलग भाजपा के खिलाफ गठबंधन में अहम भूमिका मिल सके। ऐसे में वह देश की पहली दलित प्रधानमंत्री के रूप में अपना दावा कर सकेंगी। मायावती कर्नाटक में 12 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव प्रचार के लिए बेंगलुरू पहुंची हुई हैं।