हाजी याकूब (Haji Yakub) की अवैध मीट फैक्ट्री के सामने मेरठ डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमडीए) ने घुटने टेक दिए हैं। बताया जा रहा है कि सीलिंग के बाद भी एमडीए के अफसरों ने फैक्ट्री का ध्वस्तीकरण नहीं किया।
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- जबकि 7 जुलाई 2015 से फैक्ट्री के ध्वस्तीकरण का आदेश जारी हैं।
- इससे ज्ञात हो रहा है कि याकूब के रसूखों के सामने भ्रष्ट अफसरों ने मामले को दबाये रखा।
- ध्वस्तीकरण आदेश नक्शा स्वीकृति के आवेदन के बाद इसकी याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी।
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- नक्शा अप्रूवल के लिए याकूब को नियम विरुद्ध 6 महीने का समय दिया गया था।
- बताया जा रहा है कि याकूब की अवैध फैक्ट्री का मामला अब कमिश्नर के पाले में है।
- देखने वाली बात यह होगी कि एमडीए कब तक याकूब की अवैध मीट फैक्ट्री ढ़हा पाता है।
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बैराग लौट आयी थी टीम
- गौरतलब है कि भाजपा ने विधान सभा चुनाव के दौरान अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई करने की बात अपने चुनावी घोषणापत्र में कही थी।
- यूपी में भाजपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बानी इसके बाद अवैध बूचड़खानों पर छापेमारी कर कार्रवाई शुरू की गई।
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- इसी क्रम में मेरठ जिले के हापुड़ रोड स्थित पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी की मीट फैक्ट्री को सील करने पुलिस-प्रशासन की टीमें पहुंची थीं और उन्हें बैरंग लौटना पड़ा था।
- क्योंकि फैक्ट्री का मानचित्र स्वीकृत नहीं है और कार्रवाई एमडीए को करनी थी।
- साथ ही फोर्स के पुख्ता इंतजाम न होने पर टीम को वापस लौटना पड़ा क्योंकि फैक्ट्री में काम कर रहे कर्मचारी इसका विरोध कर रहे थे।
- कार्रवाई के दौरान अफसरों ने फैक्ट्री में मिले हाजी याकूब के पुत्र से फैक्ट्री के कागजों की मांग की थी।
- लेकिन फैक्ट्री संचालक (Haji Yakub) ने कागजात दिखाने में आनाकानी की थी तो टीम ने फैक्ट्री को सील करने की चेतावनी दी थी।
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एक नजर इधर भी डालिए
- दरअसल, कृषि जमीन पर बिना लैंडयूज चैंज कराये हाजी याकूब ने इस फैक्ट्री का निर्माण कर लिया।
- इस फैक्ट्री का कोई मानचित्र भी विकास प्राधिकरण से पास नहीं कराया गया।
- 2010 में हाजी याकूब ने मानचित्र पास कराने के लिए अपनी दरूखास्त एमडीए में दी लेकिन अवैध निर्माण के चलते मानचित्र रिजेक्ट कर दिया गया।
- मेरठ विकास प्राधिकरण ने हाजी याकूब की फैक्ट्री को अवैध मानते हुए 2015 में इसके ध्वस्तीकरण के आदेश जारी किये थे।
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- लेकिन अफसरों के याकूब से गठजोड़ के चलते यह हो न सका।
- 2017 में मेरठ की हर एक मीट फैक्ट्री पर छापेमारी की गयी।
लेकिन हाजी याकूब की फैक्ट्री पर किसी अफसर की छापेमारी करने की हिम्मत नहीं हुई। - डीएम समीर वर्मा ने शासन के निर्देश पर हाजी याकूब की फैक्ट्री के अवैध निर्माण के लिए मजिस्ट्रेट और पुलिस की टीम मई 2017 में एमडीए की टीम के साथ भेजी लेकिन टीम खाली हाथ वापस आ गई।
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- खेल यह हुआ कि 2015 में जिस फैक्ट्री के ध्वस्तीकरण का आदेश हो चुका था।
- प्राधिकरण के अफसर वह दबा गये और महज सीलिंग का आदेश लेकर मई के महीने में याकूब की फैक्ट्री पर पहुंचे।
- मगर यह कार्रवाई भी करने की हिम्मत अफसर नहीं दिखा पाये।
- एमडीए ने हाजी याकूब पर दरियादिली दिखाते हुए बिना सीलिंग की कार्रवाई किये उसे मानचित्र पास कराने के लिए 6 महीने का वक्त दिया है।
- सवाल यह है कि अवैध निर्माण पर ऐसी कोई मेहरबानी करने का प्रावधान जब कानून में ही नहीं है तो प्राधिकरण याकूब पर भला क्यों मेहरबान है।