कन्नौज की ईशन नदी की बाढ़ में दो दिन से भारी मात्रा में दवाइयाँ बह रही हैं। यह दवाइयाँ कहाँ की है किसने फेंकी है इसकी कोई जानकारी नही हो सकी। नदी से थोड़ी दूर मेडिक्ल कालेज है माना जा रहा है कि दवाइयाँ वहीँ से फेंकी गयी हैं। हालाँकि मेडिकल कालेज अधीक्षक इस बात से इनकार कर रहे हैं।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]नदी में बहती दवाइयां कर रही हैं किसी बड़े घपले की ओर इशारा[/penci_blockquote]
पानी में बह रही यह दवाइयां कन्नौज के तिर्वा तहसील के जगनपुर्वा गांव के पास ग्रामीणों ने देखी। यह दवाएं गाँव के पास बहने वाली काली नदी में बह रही थी। सैकड़ो की संख्या में टेबलेट और इंजेक्शन के डिब्बे नदी के तेज बहाव में बहे जा रहे थे। ग्रामीणों का कहना है की दो दिन से लगातार दवाओं का बहना जारी है। ग्रामीण ओस तरह दवाएं नदी में फेंके जाने पर किसी बड़े घपले का अंदेशा जता रहे हैं।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]दवाइयों को लेकर सीएमएस ने दिया असंतोषजनक जवाब[/penci_blockquote]
जगन पुर्वा से कुछ दूरी पर काली नदी के पास ही कन्नौज मेडिकल कालेज है। ग्रामीणों ने सोचा कि शायद दवाएं वहां की हो तो उन्होंने मेडिकल कालेज में इसकी सूचना, लेकिन कोई भी दवाओं की जांच करने मौके पर नही पहुंचा।
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मेडिकल कालेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिलीप सिंह से बात की तो उन्होंने बहुत ही गैरजिम्मेदाराना जवाब देते हुये कहा की, “मेडिकल कालेज के बगल से नदी गुजरी है तो कोई जरूरी नही की दवाएं यही की हो पता नही कहाँ से आ रही है? ”
जिस गैरजिम्मेदाराना अंदाज से सीएमएस ने गुस्से में दवाओं के नदी में बहने पर जवाब दिया वो कहीं न कहीं किसी घपले की तरफ इशारा तो जरूर करता है।
कहीं ऐसा तो नही की गरीबो को दी जाने वाली यह दवाए उन्हें दी न गयी हों और जब डेट एक्सपायर हो गयी तो काली नदी की बाढ़ में बहाकर कागजो में वितरित दिखा दिया जाए। अगर ऐसा है तो यह एक बड़े खेल और घपले की तरफ इशारा करता है।