मेरठ में सरकारी नजूल की 60 करोड़ की जमीन को भूमाफियाओं ने हथिया कर उस पर शॉपिंग काम्पलेक्स खड़ा कर दिया. सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण की शिकायत डीएम और विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष से भी की गयी थी. लेकिन जेबें गर्म करके अफसर चुप बैठे रहे और सरकारी जमीन पर इमारत बनती रही. जब हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद जॉच हुई तो 60 करोड़ की सरकारी जमीन में 93 अवैध कब्जेदार मिले. मगर दो बीजेपी नेताओं के कारण डीएम सरकारी जमीन पर बने काम्पलैक्स को गिराने को तैयार नहीं हैं.
एडीएम ने किया बड़ा खुलासा:
- पूरा मामला 60 करोड़ की सरकारी नजूल जमीन पर कब्जे का है.
- पुलिस-प्रशासन, प्राधिकरण हाथ बांधे तमाशा देख रहा है.
- डीएम समीर वर्मा की नाक के नीचे बन गया काम्पलेक्स।
- सरकारी जमीन पर कब्जा हटाने के लिए डीएम गंभीर नहीं हैं.
- एडीएम ने इस मामले में बड़ा खुलासा किया.
- एडीएम ने बताया कि डीएम के नाम दर्ज है नजूल की जमीन.
- डीएम समीर भू-माफिया को कोर्ट से राहत लेने का मौका दे रहे है.
- सिटी के हापुड़ अड्डे पर शापिंग कॉम्प्लेक्स तक बन गया.
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हाई कोर्ट के आदेश पर एडीएम प्रशासन सत्यप्रकाश पटेल ने की जाँच:
- हाईकोर्ट के फटकार भरे आदेश के बाद डीएम ने मामले की जॉच एडीएम प्रशासन सत्यप्रकाश पटेल को दी थी.
- एडीएम पटेल ने पूरे मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया.
- सन् 1908 से लेकर अब तक के अभिलेख खँगाले और डीएम को जॉच रिपोर्ट सौंप दी.
- जॉच रिपोर्ट से ये सामने आया कि जमीन नजूल की है और मेरठ के डीएम के नाम दर्ज है.
- सर्किल रेट के मुताबिक करीब 60 करोड़ रूपये की इस जमीन पर 93 लोग अवैध कब्जेदार है.
- कब्जेदारों को एडीएम नजूल द्वारा नोटिस जारी कर दिये गये है.
- सरकारी जमीन हथियाने वालों में दो बीजेपी नेताओं के 4 रिश्तेदार भी शामिल हैं.
- इन्होने 500 मीटर से ज्यादा जमीन कब्जा रखी है.
- बीजेपी नेताओं के हस्तक्षेप के बाद जिला प्रशासन ने घुटने टेक दिये.
- डीएम समीर वर्मा इस मामले में कार्रवाई पर दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है.
- डीएम समीर वर्मा पर अवैध कब्जेदारों को हाईकोर्ट में राहत के लिए जाने का पूरा वक्त देने का आरोप भी है.
- इसीलिए एडीएम नजूल के यहाँ अवैध कब्जेदारों की सुनवाई के लिए तारीख पर तारीख दी जाती रही.
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सरकारी जमीन पर बन गया कॉम्प्लेक्स:
- मेरठ के हापुड़ अड्डे पर बना शॉपिंग कॉम्प्लेक्स सरकार के नौकरशाहों की सु्स्ती और भ्रष्टाचार का नतीजा है.
- 6 महीने पहले जब इस जमीन पर अवैध निर्माण रोके जाने की शिकायत डीएम और विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष से की गयी.
- डीएम के आदेश के बाबजूद प्राधिकरण के वीसी योगेन्द्र यादव ने इस निर्माण को नहीं रोका.
- जिस जमीन पर यह निर्माण चल रहा था वो जमीन सरकारी नजूल की थी.
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