आधुनिकीकरण के इस दौर में अफसरशाही दम तोड़ रही है और जनता का विश्वास खत्म हो रहा है. अब पुलिस और प्रशासन पर कोई यकीन करने को तैयार नहीं होता है. इस स्थिति में भी अगर कोई आम जनता की मदद के लिए हाथ बढ़ाता है, जनता भी उसे अपने सिर आंखों पर रखती है. ऐसा ही कुछ बुलंदशहर के रहने वाले एक बुजुर्ग के साथ हुआ. जब बुजुर्ग ने डीएम चंद्रकला को पत्र लिखकर अपने लिए मदद की गुहार लगाई थी.
चिट्ठी भेजकर मांगी थी मदद:
- बुजुर्ग ने अपनी आपबीती पत्र के रुप में डीएम चंद्रकला को सुनाई और डीएम चंद्रकला उनकी मदद के लिए आगे आयीं.
- पत्र के जरिए बुजुर्ग ने अपनी परिवारिक स्थिति का जिक्र किया था.
- बुजुर्ग ने लिखा था कि उनके पास सोने के लिए चारपाई नहीं है और ना ही बिछाने के लिए बिस्तर.
- नरेंद्र कुमार नामक बुजुर्ग ने अपने घर का पता भी इस पत्र में लिखा था.
- उन्होंने यह गुजारिश की थी कि कृपया उनकी मदद की जाए.
- नरेन्द्र कुमार ने 23 नवम्बर 2016 को मेरठ की डीएम बी. चन्द्रकला को पोस्टकार्ड पर एक चिठ्ठी लिखी थी.
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डीएम आयीं आगे, बिस्तर और रजाई घर की चौखट तक पहुंचा.
- नरेंद्र कुमार की चिट्ठी पाकर डीएम चंद्रकला ने मदद का हाथ बढ़ाया और अधिकारियों को उनकी मदद के लिए भेजा.
- नरेंद्र कुमार के घर एक फोल्डिंग पलंग, रजाई गद्दे और कपड़े आदि पहुंचा दिए गए हैं.
- नरेन्द्र कुमार ने बताया कि इसके पहले भी डीएम चन्द्रकला ने उनकी मदद की है.
- इसी कारण उन्होंने डीएम चन्द्रकला को पत्र लिख मदद की गुहार लगाई थी.