मेरठ का प्रसिद्ध एतिहासिक मेला इस बार राजनीति की बली चढ़ गया है. हर साल जहाँ दूर दूर से लोगों में यहाँ आकर मेला देखने का उत्साह होता है, वहीं मेले का संचालन करने वालों और दुकानदारों में भी मेले को लेकर उत्साह रहता है. पर इस बारभारत बंद के दौरान दंगों की वजह से मेले की कोई तैयारी नही है. वही मेले के लिए जिम्मेदार महापौर सुनीता वर्मा भी इसके लिए रूचि नही दिखा रही.
हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक चढ़ गया दंगो का भेट:
मेरठ का ऐतिहासिक नौचंदी मेला हिन्दू-मुश्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है. क्योंकि यह चंडी देवी के प्राचीन मन्दिर और बाले मियां की मजार का प्रतीक है. लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी अभी तक मेले रौनक नही आई. इस मेले को देखने के लिए मेरठ और उसके आसपास के लोग हर साल आते हैं.पर शायद इस साल ऐसा लगता है कि मेरठ का ऐतिहासिक नौचंदी मेला अपने शबाब पर नहीं आ पाएगा.
इसके पीछे के कई कारण हो सकते है. पहला तो इस बार नौचंदी मेला देर से शुरू हुआ. नवरात्रि में शुरू होने वाला मेला इस बार मेरठ दलित हिंसा की भेट चढ़ गया. इस बार मेला मेरठ नगर निगम के हाथ में था और मेरठ की महापौर बीएसपी की सुनीता वर्मा है
बता दें कि महापौर सुनीता वर्मा पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी है. योगेश वर्मा को मेरठ पुलिस ने बीते 2 अप्रैल में दलित हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. जिस वजह से अब लगता है कि मेला नौचंदी नहीं लग पाएगा.
जब uttarpradesh.org की टीम ने मेरठ के इस ऐतिहासिक मेले का जायजा लिया तो हमारे कैमरे में मेरठ के ऐतिहासिक मेले की बदहाली कैद हुई. मेला सूना पड़ा हुआ है. हमारे संवाददाता ने जब मेले के दुकानदारों से बात करनी चाहिए तो दुकानदारों ने अपना दर्द बयाँ करते हुए बताया कि मेले में दुकान लेने के लिए काफी खर्चा करना पड़ता है. उसके साथ-साथ मेले में ही रहना पड़ता है. साथ में 2 3 लोग रहते है, जिसकी वजह से खर्चा भी होता है. पर इस बार कमाई भी नही हो रही है. एक महीना बीतने वाला है और ग्राहक आ ही नही रहे. इसलिए नुकसान हो रहा है.