उत्तर प्रदेश की 2 लोकसभा सीटों पर होने वाला उपचुनाव सभी दलों के लिए साख का सवाल बनता जा रहा है। सपा-कांग्रेस जहाँ इन चुनावों से अपनी खोई हुई सियासी जमीन हासिल करने पर लगी हुई हैं तो भाजपा के लिए दोनों ही सीटों को जीतना काफी चुनौती भरा है। मगर उपचुनाव के पहले उत्तर प्रदेश के एक जिले से भाजपा के लिए बुरी खबर आयी है। यहाँ पर हुए एक चुनाव में सपा के हाथों पार्टी को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। इस घटना के बाद से पूरी पार्टी में हड़कंप मच गया है।
मेरठ में जीती सपा :
उत्तर प्रदेश के मेरठ में महापौर पद का चुनाव हारने के बाद अब भाजपा को नगर निगम कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष चुनाव में भी हार का मुंह देखना पड़ा है। यहाँ हुए मुकाबले में संयुक्त मोर्चा से चुनाव लड़ रहे समाजवादी पार्टी के इकरामुद्दीन को जीत मिली है। नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष ने जीतने के बाद अपनी आस्था बसपा में जतायी दी। इस चुनाव के बाद नवनिर्वाचित अध्यक्ष से महापौर सुनीता वर्मा ने मुलाकात की और उन्हें जीत की बधाई दी। इस चुनाव के बाद भाजपाइयों ने अब सपा के इकरामुद्दीन को निगम का ठेकेदार बता कर नगरायुक्त से उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की है।
कांटे का रहा मुकाबला :
मेरठ के नगर निगम कार्यकारिणी के 12 सदस्यों के लिए हुए चुनाव में 5 भाजपा तो 7 सदस्य बसपा, सपा के जीतने में सफल रहे। सपा-बसपा के संयुक्त मोर्चा से उपाध्यक्ष पद के लिए सपा के इकरामुद्दीन ने आवेदन किया था। वहीँ दूसरी ओर भाजपा से ललित नागदेव ने पर्चा दाखिल किया था। इस मतदान में इकरामुद्दीन को 7 तो ललित को 5 मत मिले। जब नामांकन पत्रों की बिक्री हुई थी तो अन्य लोगों ने नामांकन पत्र वापस कर दिए। सिर्फ सपा के इकरामुद्दीन और भाजपा के ललित ही चुनाव मैदान में रहे थे।