क्रिसमस के ठीक पहले क्रिसमस संडे को चर्चों में लोगों की खूब भीड़ रही। सुबह लोगों ने प्रार्थनाएं कर प्रभु यीशु के संदेश सुनाए। चर्चों में प्रभु यीशु के जन्म की झांकियां सजीं और कैंडिल लाइट सर्विस कर लोगों ने प्रभु को याद किया। क्वॉयर सिंगिंग से चर्च देर शाम तक गूंजते रहे। बाजारों में क्रिसमस संडे का खूब उत्साह दिखा। जगह-जगह सेंटा कैप, क्रिसमस ट्री और रंगबिरंगे गुब्बारे खरीदने की होड़ रही। तो घरों में देर रात तक लोगों कैरल सिंगिंग कर प्रभु के जन्म का उत्साह मनाया। क्रिसमस के लिए सजे रंगबिरंगी लाइटों से सजे चर्चों की तस्वीरें कैद करने के लिए लोगों में खूब उत्साह रहा।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सेंट्रल मेथोडिस्ट चर्च[/penci_blockquote]
सेंट्रल मेथोडिस्ट चर्च घसियारी मंडी में सुबह प्रार्थना सभा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। शाम को कैंडिल लाइट सर्विस कर प्रभु के संदेशों को पढ़ा गया। वहीं क्रिसमस की तैयारियों का लोगों में खूब उत्साह दिखा। रंगबिरंगी रोशनी में देर रात लोगों ने चर्च के साथ खूब शेल्फी लीं।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]कैथेड्रल चर्च हजरतगंज[/penci_blockquote]
कैथेड्रल चर्च हजरतगंज क्रिसमस की खुशियों से भर गया। जब सुबह लोगों ने संडे की प्रार्थनाओं के बाद एक दूसरे को शुभकामना दीं। प्रार्थना के बाद प्रभु यीशु के संदेशों को पढ़ा गया। क्वॉयर सिंगिंग से पूरा माहौल प्रभु यीशु के संदेशों से गूंज उठा। शाम को रंग बिरंगी लाइट में बीच शहर का यह चर्च देखते बना।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]एपीफेनी चर्च लालबाग [/penci_blockquote]
एपीफेनी चर्च लालबाग में रविवार सुबह प्रार्थनाओं के लिए लोगों की भीड़ रही। प्रार्थना के बाद क्वायर ग्रुप ने गीत गाकर प्रभु यीशु का गुणगान किया। शाम को कैंडिल लाइट सर्विस का आयोजन किया। क्रिसमस के लिए पुराना ऐतिहासिक चर्च को रंगबिरंगी बिजली की झालरों से सजाया।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]क्राइस्ट चर्च हजरतगंज[/penci_blockquote]
क्राइस्ट चर्च हजरतगंज में सुबह लोगों की क्रिसमस संडे की प्रार्थना के लिए खूब भीड़ जुटी। प्रार्थना के बाद क्वायर सिंगिंग से प्रभु यीशु का गुणगान हुआ। चर्च में प्रभु यीशु की झांकियों को सजाने का खूब उत्साह दिखा। देर शाम सजाए गए चर्च के भवन रंगीन लाइटों से जगमगा उठे।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सांता क्लॉस के मुखौटे बिकना शुरू[/penci_blockquote]
बता दें कि क्रिसमस नजदीक आते ही सभी चर्चों में कार्यक्रम शुरू हो गए हैं। इस बार 25 दिसंबर 2018 दिन मंगलवार को पड़ रहा है। क्रिसमस के पर्व से पहले कैथेड्रिल चर्च में प्रभु की प्रार्थना की जायेगी। क्रिसमस पर्व पर प्रभु ईसा मसीह यीशु की याद में मोमबत्तियां जलाई जाती हैं। इस दौरान कई प्रकार के कार्यक्रम होते हैं। क्रिसमस पर सांता क्लॉस बच्चों को उपहार देता है। चर्च में इस पर्व पर ‘जिंगलबेल जिंगल बेल जिंगल आल वे’ गाना भी गया जाता है। हजरतगंज में अभी से सांता क्लॉस के मुखौटे बिकना शुरू हो गए हैं। इन मुखौटों को लोग खूब खरीद रहे हैं। साथ ही इस अद्भुत नज़ारे को हर कोई अपने मोबाईल कैमरे में भी कैद कर रहा है।बता दें कि क्रिसमस की तैयारियां शहर में जोरों पर हैं। नवाबों के शहर लखनऊ में प्रतिवर्ष क्रिसमस पर काफी धूम रहती है। हजरतगंज सहित लखनऊ के सभी मॉल्स और मार्किट में चहल-पहल देखने वाली होती है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]कौन हैं ईसा या यीशु मसीह? [/penci_blockquote]
ईसाई धर्म के लोग ईसा या यीशु मसीह या जीज़स क्राइस्ट, उन्हें परमपिता का पुत्र और ईसाई त्रिएक परमेश्वर का तीसरा सदस्य मानते हैं। ईसा इस्लाम के अज़ीम तरीन पैगम्बरों में से एक माना जाता है ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। बाइबिल के अनुसार ईसा की माता मरियम गलीलिया प्रांत के नाज़रेथ गांव की रहने वाली थीं। उनकी सगाई दाऊद के राजवंशी यूसुफ नामक बढ़ई से हुई थी। विवाह के पहले ही वह कुंवारी रहते हुए ही ईश्वरीय प्रभाव से गर्भवती हो गईं। ईश्वर की ओर से संकेत पाकर यूसुफ ने उन्हें पत्नीस्वरूप ग्रहण किया। इस प्रकार जनता ईसा की अलौकिक उत्पत्ति से अनभिज्ञ रही। विवाह संपन्न होने के बाद यूसुफ गलीलिया छोड़कर यहूदिया प्रांत के बेथलेहेम नामक नगरी में जाकर रहने लगे, वहां ईसा का जन्म हुआ था। ईसा जब बारह वर्ष के हुए, तो यरुशलम में तीन दिन रुककर मन्दिर में उपदेशकों के बीच में बैठे, उन की सुनते और उन से प्रश्न करते हुए पाया। तब ईसा उसका माता पिता के सात अपना गांव वापिस लौट गए। ईसा ने यूसुफ का पेशा सीख लिया और लगभग 30 साल की उम्र तक उसी गांव में रहकर वे बढ़ई का काम करते रहे। बाइबिल (इंजील) में उनके 13 से 29 वर्षों के बीच का कोई ज़िक्र नहीं मिलता। 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने यूहन्ना (जॉन) से पानी में डुबकी (दीक्षा) ली थी। डुबकी के बाद ईसा पर पवित्र आत्मा आया था।
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