देश के लिए जान की बाजी लगाने वाले सेना के लोगों के लिए देशवासियों के मन में हमेशा से आदर होता है। कार्यालयों में भी उनकी समस्याओं को निपटाने में प्राथमिकता दी जाती है लेकिन लखनऊ विकास प्राधिकरण तो उनसे भी धोखेबाजी करने में बाज नहीं आया। सात साल पहले सबसे अधिक बोली बोलकर व भविष्य निधि की रकम खर्च जमा कर एक व्यावसायिक चबूतरा खरीदने वाले सूबेदार अरविंद कुमार सिंह इसके एक उदाहरण हैं, जिन्हें आज तक कब्जा नहीं मिला।
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घूम रहे बेरोजगार
- लखनऊ विकास प्राधिकरण किसी को भी नहीं बक्श रहा है।
- फिर चाहे वो वायोवृद्ध 80 साल का व्यक्ति हो या देश की रक्षा में लगा कोई सेना का जवान।
- सूबेदार अरविंद कुमार सिंह इसके एक उदाहरण हैं, जिन्हें आज तक कब्जा नहीं मिला।
- नतीजा, कोई व्यापार कर परिवार को पालने की नियत रखने वाले सूबेदार बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं।
- और बार-बार एलडीए के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन हमेशा कुछ न कुछ बताकर उन्हें टहला दिया जाता है।
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- सूबेदार ने बताया कि वर्ष 2010 में नीलामी में एक व्यावसायिक भूखंड उन्हें आवंटित किया गया।
- इसके लिए उन्होंने भविष्य निधि की राशि की रखी रकम सात लाख रुपए को जमा कर दिया।
- 1996 में सेवानिवृत्त हुए अरविंद बताते हैं, इसके पीछे उनका उद्देश्य व्यापार करने से था,
- पर लगभग सात साल बीत चुके हैं लेकिन उन्हें कब्जा नहीं मिला।
- कभी चौहद्दी सही न मिलने तो कभी किसी और बात को कहकर लौटा दिया जाता है।
- वर्तमान में अर्जन में मेरी फाइल है लेकिन सुनवाई नहीं हो रही।
- उन्होंने कहा कि स्थिति यह है कि इस समय मेरी पूरी रकम चली गई और बेरोजगार भी घूम रहा हूं।
- अगर, अब भी मेरे साथ न्याय नहीं हुआ तो न्यायालय की शरण लेना पड़ेगा।
- इसके अलावा अब मेरे पास और कोई चारा नहीं बचा है।
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