यूपी सरकार के दिव्यांग एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री
ओमप्रकाश राजभर को न उगल पा रही और न निगल पा रही भाजपा
यूपी की सियासत में चुनाव को लेकर दिन प्रतिदिन फेर बदल होता नजर आ रहा है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और योगी आदित्यनाथ सरकार के दिव्यांग एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर को भाजपा न उगल पा रही और न निगल पा रही है। राजभर को लेकर भाजपा की ‘भई गति सांप छछूंदर केरी’ जैसी स्थिति हो गई है। सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए राजभर ने गुरुवार को पत्र लिखकर पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का प्रभार मुख्यमंत्री को लौटा दिया था लेकिन, कल सुभासपा ने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने राजभर का विभाग छोडऩे की पेशकश स्वीकार नहीं की। उत्तर प्रदेश में करीब डेढ़ वर्ष से भाजपा के गले की फांस बने ओमप्रकाश राजभर ने गठबंधन से रिश्ता बनाये रखने के लिए 24 फरवरी को समय दिया है।
मांग पूरी नहीं हुई तो वह गठबंधन से रिश्ता तोड़ लेंगे
- उनकी शर्त है कि सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू कर पिछड़ों के आरक्षण को तीन श्रेणी में बांटा जाए।
- उनकी चेतावनी है कि अगर यह मांग पूरी नहीं हुई तो वह गठबंधन से रिश्ता तोड़ लेंगे।
- इस बीच रविवार को राजभर मुंबई पहुंचे।
- उन्होंने चूनाभट्टी में पार्टी की एक रैली की और इससे पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की।
ठाकरे से राजभर की मुलाकात को भी दबाव की राजनीति का माना जा रहा हिस्सा
ठाकरे से राजभर की मुलाकात को भी दबाव की राजनीति का हिस्सा माना जा रहा है। सुभासपा महासचिव और राजभर के पुत्र अरुण राजभर का कहना है कि अब कल भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष सामाजिक न्याय रिपोर्ट लागू करने के मामले को लेकर बैठक होगी और उसके बाद ही निर्णायक फैसला होगा। उल्लेखनीय है कि आरक्षण में बंटवारे की मांग पर राजभर लगातार भाजपा को चेतावनी दे रहे हैं। इस बीच उन्होंने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों के मनोनयन में अपने प्रस्तावित एक भी व्यक्ति को अवसर न देने से खफा होकर पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय लौटाने की ही पेशकश कर दी।
मनाने के लिए पहुंचे थे उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा
राजभर ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर मीडिया पर जारी किया तो उन्हें मनाने के लिए उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा पहुंचे। तब भी बात नहीं बनी। ओमप्रकाश राजभर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि जब उन्हें अपने ही विभाग से जुड़े पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग में अपने पसंदीदा लोगों को रखने का अधिकार नहीं है तो विभागीय मंत्री होने का क्या औचित्य है। नाराज पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर के इस्तीफे को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्वीकार कर दिया।
- दिव्यांग कल्याण विभाग का जिम्मा भी सम्भाल रहे राजभर ने बताया कि उन्होंने शुक्रवार रात मुख्यमंत्री से मुलाकात करके पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की जिम्मेदारी से इस्तीफा उन्हें सौंपा था,
- जिसे योगी आदित्यनाथ ने नामंजूर कर दिया।
अपने पसंदीदा लोगों को रखने का अधिकार नहीं है तो विभागीय मंत्री होने का क्या औचित्य: राजभर
उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि जब उन्हें अपने ही विभाग से जुड़े पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग में अपने पसंदीदा लोगों को रखने का अधिकार नहीं है तो विभागीय मंत्री होने का क्या औचित्य है। राजभर ने बताया कि इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आयोग के सदस्यों की सूची भाजपा संगठन ने तैयार की थी, खुद उन्होंने नहीं। वह इस मामले को आगे देखेंगे। उन्होंने बताया कि पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण में आरक्षण की सिफारिश लागू करने की मांग के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह दो-तीन दिन बाद इस बारे में बैठकर बात करेंगे।
27 सदस्यीय समिति की सूचि में नही किया गया था शामिल
- मंत्री ने कहा कि वह पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग से इस्तीफा देने के रुख पर अब भी कायम हैं।
- राजभर ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की 27 सदस्यीय समिति में शामिल करने के लिये नामों की सूची दी थी।
- मगर उनमें से किसी को भी शामिल नहीं किया गया।
- यह कोई पहला मौका नहीं है जब ओपी राजभर ने योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ आवाज उठाई हो।
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