राजकीय बाल गृह (बालिका) मोती नगर में उस समय हड़कंप मच गया जब एक किशोरी यहाँ संदिग्ध परिस्थितियों में मृत अवस्था में मिली। जिस किशोरी की मौत हुई है उसे हाल ही में आश्रय दिलाया गया था। जिला प्रोबेशन अधिकारी डीपीओ ने बाल गृह का निरीक्षण कर जिलाधिकारी से मजिस्ट्रेट जांच की सिफारिश की है। बताया जा रहा है कि या किशोरी दिसंबर में आ लाई गई थी और उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी।
डीपीओ सुधाकर पांडेय ने बताया कि बाल कल्याण समिति बलरामपुर ने किशोरी को लखनऊ भेजा था। वह 8 दिसंबर से यहां रह रही थी। उसे सुमन नाम दिया गया था। वह मानसिक रूप से स्वास्थ्य नहीं थी। उसे बलरामपुर अस्पताल ले जाया गया। जहां से उसे केजीएमयू रेफर कर दिया गया। कुछ समय बाद उसे ठीक मानकर 9 जनवरी को बाल गृह भेजा गया। लेकिन सुबह 8:00 बजे वह मृत पाई गई। उसे केजीएमयू ले गया ले जाया गया। जहां से उसे मृत अवस्था में लाना घोषित किया गया। आशंका जताई जा रही है कि उसकी मौत सेप्टीसीमिया या भूख से हुई है। हालांकि प्रशासन ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के तक कोई निष्कर्ष देने से इनकार किया है।
डीपीओ ने बताया किशोरी की मौत संदिग्ध हालत में हुई है। मजिस्ट्रेट जांच की सिफारिश की है। वह मामले में अपनी रिपोर्ट भी डीएम को सौंप चुके हैं। उन्होंने कहा कि किशोरी बोल नहीं पा रही थी न हीं अपना कोई काम कर पाती थी। बालगृह में ही डॉ सुदर्शन सिंह ने 18 जनवरी को उसकी जांच कर केजीएमयू के डॉक्टरों द्वारा बताई दवाई जारी रखने को कहा था। ऐसे में इस तथ्य की जांच जरूरी है कि किशोरी की मौत की हालत में हुई है। इस मामले के बीच निर्माण से एक अन्य बच्चा भाग निकला। मामले की सूचना अधिकारियों को नहीं दी गई थी। डीपीओ सुधाकर पांडेय ने बताया कि इस मामले में सहित पूर्व में बच्चों के भागने के कुल 2 मामले में कार्यवाही की सिफारिश की गई है।
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