अल्पसंख्यक लड़कियों की शादी अनुदान योजना फ्लाप साबित हो रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार इस योजना के लिए आवंटित बजट का एक तिहाई हिस्सा ही खर्च कर पायी है।
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आज भी इस योजना में अनुदान के नाम पर मात्र 10 हजार रूपये ही मिल रहें हैं।
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सरकार इस योजना के लिए आवंटित बजट का एक तिहाई हिस्सा ही खर्च कर पायी है।
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सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 में इस योजना के लिए 15 करोड़ का बजट रखा था
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लेकिन वह इस मद में केवल 5.16 करोड़ रूपये ही खर्च कर सकी है।
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10 करोड़ रुपये अब भी बचा है, जबकि वित्त वर्ष खत्म होने में 17 दिन ही बचे हैं।
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सरकार ने अगले वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 82.45 करोड़ रूपये दे दिए हैं।
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पिछले वर्ष की तुलना में सरकार ने पांच गुना अधिक बजट रखा है।
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अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब परिवारों की बेटियों की शादी के लिए मिलता है अनुदान।
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5166 परिवारों को ही उनकी बेटियों की शादी के लिए अनुदान दिया जा सका है।
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अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग में आज भी बीपीएल की पुरानी परिभाषा चली आ रही है।
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शहरी क्षेत्र में 36 रूपये से कम आय वाले परिवार ही बीपीएल की श्रेणी में आते हैं।
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