मिर्जापुर:-जूना अखाड़ा के महंत ने डीएम से मिलकर सीएम को भेजा पत्र- नाम बदलने की फिर उठी मांग
मिर्जापुर
मिर्जापुर जिले का नाम बदलने की मांग एक बार फिर उठी है। जिले के निवासियों का कहना है कि जिले का प्राचीन नाम गिरिजापुर था, जिसे काशी नरेश ने 12वीं शताब्दी में बसाया था। वे कहते हैं कि जिले का पुराना नाम रखना जिले की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में मदद करेगा।
इस मांग का नेतृत्व जूना अखाड़ा बाबा बूढ़ेनाथ मंदिर के महंत डॉ योगानंद गिरी ने किया है। उन्होंने जिलाधिकारी के माध्यम से प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है। उन्होंने पत्र में कहा कि मिर्जापुर का नाम गिरिजापुर रखना जिले के लोगों की भावनाओं को व्यक्त करेगा।
अन्य लोगों का कहना है कि जिले का नाम बदलने का कोई औचित्य नहीं है। वे कहते हैं कि मिर्जापुर एक जाना-माना नाम है और इसे बदलना भ्रम पैदा करेगा। वे कहते हैं कि जिले के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि नाम बदलने पर।
अंततः, जिले का नाम बदलने या न बदलने का निर्णय सरकार को लेना है। हालांकि, इस मुद्दे पर लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।
यहां कुछ तर्क दिए गए हैं जो जिले का नाम बदलने के पक्ष में और विपक्ष में दिए गए हैं:
पक्ष में:
- जिले की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में मदद करता है।
- जिले के लोगों की भावनाओं को व्यक्त करता है।
विपक्ष में:
- भ्रम पैदा कर सकता है।
- जिले के विकास पर ध्यान केंद्रित करने से विचलित करता है।
जूना अखाड़ा बाबा बूढ़ेनाथ मन्दिर के महंत डॉ योगानंद गिरी ने डीएम को योगी का विंध्याचल पुस्तक दिखाई।
साहित्यकारों ने मीरजापुर लिखा
आजादी के बाद साहित्यकारों ने जनपद को मीरजापुर लिखा। इमली महादेव मोहल्ले के साहित्य कार पं. सीताराम द्विवेदी ने ‘मीर’ का अर्थ समुंद्र, ‘जा’ अर्थात पुत्री और ‘पुर’ का मतलब नगर बताया था। जिसका अर्थ हुआ समुंद्र से उत्पन्न लक्ष्मी का नगर अर्थात “मीरजापुर”। जिले जिला पंचायत बोर्ड की बैठक में स्वीकार किया गया। आज भी प्रदेश सरकार मीरजापुर तो केंद्र सरकार मिर्जापुर लिखती आ रही हैं।
योगी का विंध्याचल पुस्तक के लेखक डॉ जितेंद्र कुमार सिंह ने डीएम को पुस्तक भेंट की।
ब्राह्मण का गला काटकर मिर्जाबेग ने किया था पेश
योगी का विंध्याचल पुस्तक के लेखक डॉ जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मो० शाह रंगीला के सिपहसालार मिर्जा बाकी बेग ने कंतित के एक ब्राह्मण का गला काटकर बादशाह के दरबार में पेश किया था। ब्राह्मण का दोष महज इतना था कि उसने मिर्जा बाकी बेग से यह शिकायत की थी कि उसके सिपाही गंगा नदी को प्रदूषित कर रहे हैं। इसी बात पर मिर्जा बाकी बेग ने उसका गला काटकर बादशाह के दरबार में ले जाकर पेश किया था।