केन्द्र सरकार में बीजेपी की सरकार में हर दूसरा तीसरा मंत्री राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के अनुसांगिक छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से निकला है। यहां तक कि कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी केन्द्र सरकार में अरुण जेटली और बीजेपी में अमित शाह एबीवीपी से निकले सबसे बड़े नेता हैं। माना जाता है कि युवा मोर्चा के मुकाबले बीजेपी को निष्ठावान नेताओं की पौध एबीवीपी के जरिए ज्यादा मिली है। यहां तक कि आरएसएस में भी दत्तात्रेय हॉसबोले जैसे पुराने परिषद कार्यकर्ता शिखर की तरफ बढ़ रहे हैं। जब यूपी की बारी आई तो हाईकमान ने वहां भी एबीवीपी के धुरंधरों पर ही भरोसा किया इसी भरोसे को कायम हुए संगठन के एक और धुरंधर को संगठन की एक नयी और बड़ी जिम्मेदारी दी गयी।
डॉ. शिव कुमार मिश्र बनाये गए जिला संयोजक
- अमेठी जिले के सीमावर्ती क्षेत्र हलियापुर निवासी डॉ. शिव कुमार मिश्र को एबीवीपी के प्रदेश उपाध्यक्ष की कमान सौंपी गई है।
- यह घोषणा प्रदेश अध्यक्ष राकेश द्विवेदी ने मध्य प्रदेश के इन्दौर में हुए एक राष्ट्रीय अधिवेशन मे की।
- इससे पहले डॉ. शिव कुमार मिश्र संगठन के अलग-अलग पदों पर रहते हुए अपने उत्तरदायित्वों को बाखूबी अंजाम दिया।
- जिसका परिणाम ये हुआ कि इनके कार्यकाल में अवध प्रान्त में रिकॉर्ड सदस्यता दर्ज की गई।
- यही नहीं मोदी फॉर पीएम तथा संगठन की अधिकृत प्रत्याशी कपड़ा मंत्री एसजे ईरानी के लोकसभा चुनाव के दौरान डॉ शिव कुमार मिश्र ने प्रचार और प्रसार का काम सम्भाला और वे शत प्रतिशत खरे साबित हुए।
करीब 15 सालों से दे रहे संगठन को सेवा
- लगभग 15 वर्षो से ज्यादा संगठन को सेवा दे रहे डॉ. मिश्र की निष्ठा, लगन और उत्तरदायित्यों का सफलतापूर्वक निर्वहन करने के एवज में प्रदेश उपाध्यक्ष की कमान उनको सौंपी गयी।
- डॉ. मिश्र के इस पदोन्नति पर मांधारासिंह, हिन्देश सिंह, गब्बर सिंह आदि ने खुशी जाहिर करते हुए बधाई दी।
- दरअसल माना ये जाता है कि एबीवीपी ही वो संगठन है जो ना केवल पूरे संघ परिवार के संगठनों को सबसे ज्यादा युवा नेताओं और प्रचारकों की फौज मुहैया करवाता है।
- बल्कि यही वो संगठन है जो आरएसएस में लगातार मॉर्डन बदलाव की सिफारिशे करता है।
- फिर चाहे वेलेंटाइन-डे पर होने वाले हंगामे में कमी की बात हो या फिर आरएसएस के गणवेश में पेंट लागू करने की बात। एबीवीपी का दवाब रंग लाया है।
- संघ ने भी एबीवीपी को किसी भी पॉलटिकल हस्तक्षेप से हमेशा मुक्त रखा है।
- एनएसयूआई की तरह एबीवीपी के नेता किसी बीजेपी के नेता को रिपोर्ट नहीं करते और बीजेपी का अपना कोई छात्र संगठन भी नहीं है।
- अब उन्हीं एबीवीपी नेताओं के हाथ में यूपी चुनाव में बीजेपी की कमान है।