भले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार में गोमती नदी तट पर हुए कार्यों की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की गई है, लेकिन अगर अतीत में जाएं तो संवारने के नाम पर गोमती नदी (Gomti river) को हमेशा छला गया। अखिलेश यादव सरकार में ही नहीं पूर्व की भाजपा, माया और मुलायम सरकार में भी गोमती नदी को सुंदर बनाने के नाम पर सरकारी धन को बहाया गया था, लेकिन गोमती नदी का स्वरूप नहीं बदल सका।
मुख्यमंत्री योगी ने किया था निरीक्षण
- पिछली 27 मार्च 2017 को जब मुख्यमंत्री योगी ने गोमती नदी का निरीक्षण किया था।
- तब ही यह संभावना जताई जाने लगी थी कि अखिलेश सरकार में गोमती नदी तट को संवारने के नाम पर बेहिसाब रकम बहाने वाले गुनहगारों को जेल जाना होगा।
- उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने भी गोमती नदी संवारने के नाम पर बरती गई अनियमितताओं से जुड़ी रिपोर्ट ने भी गड़बड़ी से परदा हटाया था।
ये भी पढ़ें- गायत्री ने रेप की जमानत के लिए जजों-वकीलों को दी थी 10 करोड़ की रिश्वत!
बसपा सरकार ने भी उठाया था साफ करने का बीड़ा
- वर्ष 2007 में बसपा सरकार ने भी गोमती नदी को संवारने का बीड़ा उठाया था।
- नदी की सफाई तलहटी तक करने के लिए सरकार ने यूपी प्रोजेक्ट कारपोरेशन को काम दिया था और एक करोड़ खर्च खर्च हो गए, लेकिन गोमती नदी की गंदगी दूर न हो सकी।
- बसपा सरकार में ही अंबेडकर स्मारकों की रौनक बढ़ाने के लिए गोमती नदी में पानी का ठहराव करने के लिए करीब 40 करोड़ रुपये से लामार्ट कॉलेज के पिछवाड़े गोमती तट पर पर वीयर बनाई गई थी।
- जिससे गोमती नदी का पानी बसपा सरकार में ही एलडीए ने गोमती तट को संवारने में 12 करोड़ खर्च कर दिए थे।
- इसमे ढाई मीटर चौड़ा 825 मीटर लंबा जॉगिंग ट्रैक का निर्माण भी कराया था।
ये भी पढ़ें- योग दिवस के पूर्वाभ्यास पर सीएम योगी पहुंचे रामाबाई अंबेडकर पार्क!
दो दशक पहले भाजपा ने भी बनाई थी योजना
- करीब दो दशक पूर्व भाजपा सरकार में भी गोमती नदी को गंदगी से मुक्त करने के लिए बड़ी योजना बनी थी।
- कोलकाता से ड्रेजिंग मशीन स्वाति को मंगाया गया था और गंदगी को निकाला भी गया था।
- लेकिन निकाली गई गंदगी और भुगतान के बारे में कोई स्पष्ट रिपोर्ट सामने नहीं आ पाई थी।
- हालांकि बाद में आई मुलायम सरकार के मंत्री आजम खां ने यह कहकर घोटाले की तरफ इशारा किया कि जितनी रकम गोमती सफाई में खर्च हुई थी।
- उससे वह एक किलोमीटर में चांदी की सड़क बनवा देते।
ये भी पढ़ें- भाजपा ने की प्रधानमंत्री के भव्य स्वागत की तैयारी!
सपा सरकार में भी अधूरी रह गई योजना
- अखिलेश यादव ही नही उनके पिता मुलायम सिंह यादव की सरकार में भी गोमती नदी को संवारने में रकम बहाई गई थी और वह परियोजना भी अधूरी रह गई और विजिलेंस ने जांच की थी। लेकिन रिपोर्ट का अतापता नहीं चला।
- तत्कालीन मुलायम सरकार में वर्ष 2004 में गोमती तटबंध संवारने की परियोजना का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने किया था, लेकिन उद्घाटन नसीब नहीं हो सका था।
- बीरबल साहनी मार्ग पर शिलापट आज शिलान्यास के पट भी इसका गवाह है।
ये भी पढ़ें- हर सरकार में बहाया गया पैसा लेकिन नहीं बदल सका गोमती नदी का स्वरूप!
- तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां का दावा था कि स्विजरलैंड की तर्ज पर गोमती तटों को संवारा जाएगा, इसके लिए भव्य गेट बनने थे।
- इसके लिए हनुमान सेतु के पास पिलर भी खड़े किए थे और कई अन्य कार्य भी कराए गए थे।
- कार्य कराने का जिम्मा जलनिगम की सीएंडडीएस इकाई को दिया गया था।
- प्रथम चरण में हनुमान सेतु से निशातगंज पुल तक गोमती के दोनों तटों को संवारते हुए पिकनिक स्पॉट बनाया जाना था।
- करीब चार पांच करोड़ खर्च हो गए और सरकार बदलते ही (Gomti river) काम रोक दिया गया था।
ये भी पढ़ें- सीबीआई करेगी गोमती रिवर फ्रंट में हुई अनियमितताओं की जांच!