भाजपा को दलित विरोधी और जिन्ना को महापुरुष बताने वाली भारतीय जनता पार्टी की बहराइच से सांसद सावित्री बाई फुले एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वह अपने किसी बयान से नहीं बल्कि बहराइच जिले के मिहींपुरवा तहसील के मंझाव गांव में करीब 12 बीघा विवादित जमीन पर अपने चाचा को जबरन कब्जा करवाने के लिए सुर्खियों में हैं। भाजपा सांसद पर आरोप है कि उन्होंने खेत में लगी फसल को ट्रैक्टर से अपने सामने जोतवा दिया। जबरन कब्जा करने का विरोध करने वालों की मौके पर मौजूद मोतीपुर थानाध्यक्ष ने भी एक न सुनी। शनिवार को कलेक्ट्रेट में दूसरे पक्ष के लोगों ने प्रदर्शन कर न्याय की गुहार लगाई। इसके बाद एसडीएम मिहींपुरवा ने तहसीलदार से मौके पर मौजूदगी के बावत रिपोर्ट तलब की है। कब्जे का वीडियो वायरल होने के बाद सांसद और प्रशासन बैकफुट पर आ गए हैं।
नियमानुसार गलत तरीके से किया कब्जा
जानकारी के मुताबिक, मंझाव गांव निवासी जानकी प्रसाद पुत्र रामसेवक ने बताया कि विवादित जमीन बालमुकुंद पुत्र जमुना नाम के ग्रामीण से वर्ष 1978 में उनके स्व. पिता रामसेवक पुत्र राजाराम व दूधनाथ पुत्र बल्ली ने संयुक्त रूप से खरीदी थी। भूमि के बंटवारे को लेकर उसी समय मामला कोर्ट में चला गया था। वर्ष 2016 में सभी लोगों ने आपस में सुलह कर भूमि की अमल दरामद करा ली। इसी बीच बीजेपी सांसद के चाचा अक्षयबर कनौजिया पुत्र जगेशर ने बालमुकुंद के पौत्र अरविंद कुमार पुत्र जगेशर से उपरोक्त भूमि का बैनामा कराकर फिर से उसकी अमल बरामद करा ली, जो कि नियमानुसार गलत था।
प्रशासनिक अधिकारी पल्ला झाड़ने में जुटे
इसलिए यह प्रकरण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। प्रकरण तहसीलदार न्यायालय में लंबित है। शुक्रवार शाम सांसद बहराइच ने तहसीलदार मिहींपुरवा केशवराम और थानाध्यक्ष मोतीपुर हेमंत गौड़ के साथ मिलकर खेत में लगी फसल को जोतवा कर भूमि पर कब्जा करवा दिया। दूसरे पक्ष के लोगों ने शनिवार को कब्जे के विरोध में कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। इस दौरान कब्जा कराने गई सांसद की सीडी बांटी गई। तहसीलदार केशवराम ने बताया कि वह मौके पर गए जरूर थे, लेकिन कब्जा कराने में उनका कोई रोल नहीं है। पुलिस मौके पर मौजूद थी। एसओ हेमंत ने बताया कि तहसीलदार ने फोन कर मौके पर बुलाया था, इसलिए गया था।
सांसद सावित्री बाई फूले के बिगड़े बोल
सांसद सावित्री बाई फूले ने बताया कि मंझाव गांव में चाचा अक्षयबर कनौजिया की जमीन है। वर्तमान जमीन की खतौनी पर वे ही खाताधारक हैं। तहसीलदार व एसओ ने न्यायसंगत कार्रवाई की है। नियमानुसार कार्रवाई होने की सूचना पर ही वे मौके पर गई थी। राजनीतिक विरोध के चलते ही इस प्रकरण को सत्ता पक्ष के एक नेता के इशारे पर तूल पकड़ाया जा रहा है। खतौनी में खाताधारक का नाम न होता तो वे मौके पर नहीं जाती। प्रकरण का डायवर्ट करने के लिए प्रशासनिक अफसरों पर दबाव बनाया जा रहा है। वहीं एसडीएम मिहींपुरवा केपी भारती ने बताया कि मंझाव गांव में जिस जमीन पर शुक्रवार शाम कब्जा हुआ है, वह विवादित है। तहसीलदार न्यायालय पर इसका वाद लंबित चल रहा है। तहसीलदार मौके पर गए थे, उनसे रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट से डीएम को अवगत कराया जाएगा।
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