वाराणसी सीट से पीएम मोदी को टक्कर देने के लिए उतरेगा ‘मृतक’
यूँ तो चुनाव के दौरान राजनीति में दिन प्रतिदिन नये नये कारनामे सुनने को मिलते ही है। उसी में से यह एक मामले सामने आया है जिससे सभी चौंक जायेंगे। की एक मुर्दा (मृतक) कैसे इस लिक्स्भा में लड़ेगा चुनाव। आईये जानते है की आखिर क्या है मामला! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 2019 में लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए सरकारी दस्तावेज में मृत घोषित एक व्यक्ति ने अभी से ताल ठोक दी है। आजमगढ़ के रहने वाले इस शख्स का नाम है लालबिहारी ‘मृतक’।
- वह मृतक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उनका चुनावी एजेंडा सिर्फ एक है
- सरकारी विभागों में व्याप्त धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के खिलाफ लड़ाई।
- लालबिहारी का उद्देश्य है कि इन समस्याओं के चलते जिन जीवित व्यक्तियों को मृत घोषित कर दिया गया है
- वे मौलिक अधिकारों के लिए सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं
- उनको न्याय दिलवाया जाए।
सरकारी दस्तावेजों पर मृतक घोषित लालबिहारी ने किया लोकसभा चुनाव लडऩे का एलान
लालबिहारी इसीलिए पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार के चलते जिंदा रहने के बाद भी मृत घोषित कर दिए गए लोगों को न्याय मिल सके। लालबिहारी मृतक ने कहा कि वह खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर जनता की अदालत में इंसाफ की आवाज को बुलंद करेंगे। इसके साथ ही साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, बीएसपी सुप्रीमो मायावती, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आदि दिग्गज नेताओं के खिलाफ चुनाव लड़ाने के लिए मृत घोषित लोगों की तलाश जारी है।
सरकारी दफ्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते जिंदा व्यक्ति को ही घोषित कर दिया मृतक
सरकारी दफ्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते जिंदा व्यक्ति को मृतक घोषित करके संपत्ति हड़पने के खेल को वह संविधान और देश के लिए कलंक बताते हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसे मृतकों के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सन 2000 में एक आदेश पारित किया था, जिसके बाद उत्तर प्रदेश में हजारों मृत घोषित लोगों और धोखाधड़ी से पीडि़तों को सरकारी विभागों के अभिलेखों में पुन: जीवित कर दिया गया है लेकिन पीडि़तों की जमीनों और मकानों को शासन-प्रशासन द्वारा कब्जा नहीं दिलाया गया है।
42 वर्षों से कर रहे निरंतर संघर्ष
आजमगढ़ के लालबिहारी ने अपने नाम के आगे मृतक लगाने के साथ देशभर में सरकारी कारगुजारी के चलते जिंदा होने के बाद भी मृतक घोषित किए लोगों को संगठित करने के लिए मृतक संघ का गठन किया। मृतक संघ के बैनर तले वह लगभग 42 वर्षों से निरंतर संघर्षरत हैं।
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