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मरीजों के लिए वरदान है एमआरआई मशीनः प्रो. सीएल खेत्रपाल

Prof. Cl khetrapal Cl khetrapal lecture concludes in aryakul college lucknow-7

Cl khetrapal lecture concludes in aryakul college lucknow-7

आर्यकुल ग्रुप आॅफ कालेज बिजनौर में देश के महान वैज्ञानिकों में गिने जाने वाले प्रो. सी.एल. खेत्रपाल का व्याख्यान सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए कालेज के प्रबंध निदेशक सशक्त सिंह, कालेज के संस्थापक के.जी.सिंह व मुख्य वक्ता वैज्ञानिक प्रो. सी.एल. खेत्रपाल द्वारा दीप प्रज्जवलित करके किया गया साथ ही सरस्वती वंदना गीत प्रस्तुत हुआ।

मुख्य अतिथि प्रो. खेत्रपाल को कालेज के संस्थापक द्वारा गुलदस्ता व पौधा देकर सम्मानित किया गया। इसके बाद कालेज के शोध निदेशक डाॅ.रविकान्त, कालेज के प्राचार्य डी.एम. त्रिपाठी, कालेज के रजिस्ट्रार सुदेश तिवारी ने भी पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। कालेज के प्रबंध निदेशक सशक्त ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन इस कालेज में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जायेगा। क्योंकि आज देश के महान वैज्ञानिक प्रो.सी.एल.खेत्रपाल का आगमन हमारे कालेज में हुआ है।

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उन्होंने खेत्रपाल के जीवन परिचय के साथ उनके शोधों आदि के बारे में कहा कि दिन खत्म हो जायेगा पर खेत्रपाल का व्याख्यान नहीं किया जा सकता हैं। क्योंकि एन.एम.आर. व एम.आर.आई. की जो जानकारी खेत्रपाल के पास है वो ज्ञान किसी भी किताब में नहीं है। उन्होंने बच्चों से कहा कि ऐसा मौका फिर शायद न मिले इससे पहले ही इस क्षेत्र की अपनी जिज्ञासा को शांत कर ले। इसके बाद वैज्ञानिक सी.एल.खेत्रपाल ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए बच्चों से कहा कि आप लोग इस अनुभव को बहुत ही ध्यान से सुने क्योंकि अनुभव की बातें किताबों में नहीं मिलती। उन्होंने एन.एम.आर. , एम.आर.आई. एवं इनके अनुप्रयोगों के बारे में विस्तृत जानकारी साझा करते हुए कहा कि एमआरआई का मतलब चुम्बकीय अनुनाद प्रतिबिम्बन (Magnetic resonance imaging) या नाभिकीय चुम्बकीय अनुनाद प्रतिबिम्बन (MRI), एक चिकित्सा प्रतिबिम्बन की एक तकनीक है।

एम आर आई द्वारा शरीर के अंगों का चित्र प्राप्त करने के लिये प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र तथा रेडियो तरंगों का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सोशल सांइस के क्षेत्र में इसके प्रयोग और उपयोग का प्रभाव लगातार बढता जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक दौर ऐसा भी था जब हमारे देश के चिकित्सक किसी गंभीर बिमारी के बारे में पूरी तरह से पता लगाने में सक्षम नहीं थे पर आज एम.आर.आई. के आ जाने के बाद चिकित्सकों को बिमारी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हो जाती है जिससे मरीजों का बेहतर इलाज संभव है।

उन्होंने कहा कि आज ऐसी एम.आर.आई. मशीनें आ गयी हैं जो पल भर में ही हमारे पूरे शरीर के सभी अंगों की सही स्थिति को बता देते हैं जिससे डाक्टर व मरीज दोनों को इलाज करने और कराने में स्वास्थ्य लाभ होता है। खेत्रपाल ने योगा व ओम के बारे मेें छात्र-छात्राओं को विस्तृत जानकारी दी और इनका एम.आर.आई. के द्वारा होने वाले उपयोगों के बारे में बताया। इसके साथ ही इस क्षेत्र जुड़े कई तकनीकियों के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी। उन्होंने बच्चों को चित्र के माध्यम से अपने महत्वपूर्ण शोधों को साझा किया और कहा कि आप भी इन विषयों से कुछ सीख सकते हैं और आगे शोध कर सकते हैं।

इसके साथ ही एमआरआई के उपयोगोें के बारे में बताते हुए कहा कि विशेषकर मस्तिष्क, मांसपेशियों, दिल और कैंसर के रोगियों को कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) या एक्स-रे जैसे एमआरआई तकनीक के जरिए जांच की सलाह दी जाती है। गौरतलब है कि सीटी स्कैन या पारंपरिक एक्स-रे की भांति एमआरआई आयोनाइजिंग रेडियेशन का इस्तेमाल नहीं करता। इसलिए मरीज को एम.आर.आई. करवाना पूरी तरह से सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि एम.आर.आई. में शरीर के हरेक अंग की इमेज तैयार करने के लिए प्रयोग किया जाता है। मस्तिष्क, मांसपेशियां, कनेक्टिव टिश्यू, चेस्ट स्कैन और ज्यादातर ट्यूमर से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने के लिए एमआरआई जांच करवाने की सलाह दी जाती है।

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मरीजों को एंकल में मोच आने या बैक पेन होने पर भी इसकी सलाह दी जाती है। उन्होंने इस मशीन के काम करने के बारे में बताते हुए कहा कि मानव शरीर के अंदर पानी की मात्र सबसे ज्यादा होती है। हर वाटर मॉलिक्यूल दो हाइड्रोजन न्यूक्लियाई या प्रोटोन से तैयार होता है। जब भी कोई व्यक्ति स्कैनर के पावरफुल मैग्नेटिक फील्ड तक पहुंचता है तो इनमें से कुछ प्रोटोन के मैग्नेटिक मोमेंट्स बदल जाते हैं और फील्ड के साथ हो जाते हैं और साथ ही इसकी बनावट के बारे में कहा कि एमआरआई मशीन एक लंबे ट्यूब की भांति नजर आती है जिसके सर्कुलर भाग में एक बड़ा सा चुंबक लगा रहता है।

एमआरआई के दौरान मरीज को टेबल पर लिटाकर एमआरआई स्थान पर ले जाता जाता है। जिस अंग का एमआरआई करवाना होता है, टेक्नीशियंस उस खास अंग पर क्वाइल लपेट देते हैं। क्वाइल इस मशीन का ही एक हिस्सा होता है जो कि एमआर सिग्नल पकड़ता है। अन्त में खेत्रपाल ने कालेज प्रबंधन को इस तरह के व्याख्यान कराने के लिए आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में बच्चों को संबोधित करते हुए शोध निदेशक डाॅ रविकांत ने कहा इस व्याख्यान से हमारे बच्चों को एम.आर.आई. के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिली है। जिसका मैं प्रो.खेत्रपाल जी को आभार व्यक्त करता हॅू। इसके साथ ही कालेज के प्राचार्य डाॅ. डी.एम.त्रिपाठी ने प्रो.खेत्रपाल के बारे में व्याख्यान देते हुए कहा कि खेत्रपाल हमारे देश की शोभा हैं जैसे अकबर के नौ रत्न थे वैसे ही भारत के नौ रत्नों में से एक हैं। इसके साथ ही फार्मेसी विभाग से शिवभद्रा सिंह व डाॅ.संजय यादव ने बच्चों के सामने अपने शोध विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का सफल संचालन एच.आर.हेड नेहा वर्मा द्वारा किया गया।

इस कार्यक्रम में अध्यक्ष पत्रकारिता एवं शिक्षा विभाग अंकिता अग्रवाल, एच.आर.हेड नेहा वर्मा, शोध निदेशक डाॅ.रविकान्त के साथ शिक्षकों में फार्मेसी विभाग से डाॅ.आदित्य सिंह, डाॅ.स्तुति वर्मा, डॉ.शशांक तिवारी, डाॅ.नवनीत, बी.के.सिंह, डाॅ.संजय यादव, शिवभद्रा सिंह, प्रियंका केसरवानी, रश्मि सागर, निधि कुमारी, स्वाती सिंह, संचालिका मिश्रा, मैनेजमेंट विभाग से आशुतोष यादव, आकांक्षा सिंह, विनीता दूबे, सिद्धार्थ महन्ता, अब्दुल रब खान, सिद्धार्थ राजेन्द्र, शशांक मेहरोत्रा बी.टी.सी.विभाग से एस.सी.तिवारी, रवि पाठक, गीता मिश्रा, नीलम भास्कर, धनेश प्रताप सिंह, प्रणव पाण्डेय, पंकज यादव आदि के साथ रजिस्ट्रार स्टाफ में हर्ष नारायण सिंह, रोहित वर्मा, अंकुर, मोनी, कल्याणी, खुशबू, अंकिता के साथ अन्य स्टाफ में सर्वजीत, कौशल इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

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