मुजफ्फरनगर पुलिस ने लोगों में पंपलेट बटवाकर शांति शौहार्दपूर्ण होली मनाने की अपील की है। यह पंपलेट जिले भर के सभी थानों में बंटवाए गए हैं। मुजफ्फरनगर एसएसपी अनन्त देव तिवारी की इस अनूठी पहल पर चहुंओर सराहना की जा रही है। एसएसपी का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति रंग नहीं खेलना चाहता है और उसके उपर रंग पड़ जाता है तो विवाद उत्पन्न हो जाता है ऐसे में दोनों पक्षों को सौहार्दपूर्वक उसके रंग साफ कर देना चाहिए, जिससे कि विवाद वहीं समाप्त हो जाता है।
होली के त्योहार पर शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए पम्पलेट बटवा कर की गई अनोखी अपील की सभी लोगों ने प्रशंसा की है। मुजफ्फरनगर एसएसपी अनन्त कुमार तिवारी का कहना है कि इंसान के अन्दर सहनशीलता होनी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति द्वारा अति उत्साहपूर्वक होली का रंग किसी पर पड़ जाता है किसी मस्जिद में पड़ जाता है तो आपस में सौहार्दपूर्वक उसे साफ कर देना चाहिए ना कि कोई विवाद खड़ा करना चाहिए। ऐसे छोटे से मामले में देखते ही देखते बात दंगे पर आ जाती है। तो यह बिल्कुल ही उचित नहीं है।
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एसएसपी के इस कदम को जनता ने सराहा
इस दौरान एसएसपी ने एक कहानी के माध्यम से सहनशीलता का उदाहरण देते हुए हजरत मोहम्मद साहब की अच्छाइयों की मिशाल पेश कर पम्पलेट छपवाए। जिसमें शान्ति व सौहार्द पूर्ण त्योहार मनाने की अपील की गई है। एसएसपी की इस पहल को जनता ने सराहा है। जिले भर के सभी थाना क्षेत्रों में बटवाई गई पम्पलेट में लोगों को आपसी सौहार्द के साथ होली मनाने की अपील की है। साथ ही कहा कि यदि कोई व्यक्ति रंग नहीं खेलना चाहता है और उसके उपर रंग पड़ जाता है तो विवाद उत्पन्न हो जाता है ऐसे में दोनों पक्षों को सौहार्दपूर्वक उसके रंग साफ कर देना चाहिए, जिससे कि विवाद वहीं समाप्त हो जाता है।
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एसएसपी मुज़फ्फरनगर के अनुसार ये होली का त्यौहार है होली में कुछ चीजों को लेकर समाज में आपस में झगडे होते है साम्प्रदायिक तनाव होते है , जो लोग होली नहीं खेलते है उनके ऊपर रंग गिर जाने से झगडे की सम्भावना रहती है। होली मुस्लिमो का त्यौहार नहीं है ,मुस्लिम भाई होली नहीं खेलते है ,होली पर मस्जिद , मदरसे ये उनके ऊपर रंग पद जाता है जो हिन्दू-मुस्लिम का रूप लेकर साम्प्रदायिक तनाव और दंगा तक की स्थिति आ जाती है इसको रोकने के लिए मुस्लिम भाइयो से इस पत्र के माध्यम से अपील की है।
क्या है पत्र में
‘दोस्तों, आप उस रसूल-ए-पाक के उम्मत के फर्द (सदस्य) हैं जिसके रसूल-ए-पाक जिस रास्ते से गुजरते थे, उस रास्ते पर रहने वाली एक बूढ़ी महिला रसूल पर गंदगी डाल देती थी। रसूल उसे झाड़कर निकल जाते थे। यह सिलसिला रोज का था। एक दिन उस महिला ने रसूल पर गंदगी नहीं फेंकी तो रसूल वहीं रुक गए और उस औरत के बारे में जानकारी हासिल की। पता चला कि वह बीमार है। रसूल इजाजत लेकर उस महिला के घर में गए और उसका हालचाल पूछा। महिला ने देखा कि यह वही शख्स है जिस पर वह गंदगी फेंकती थी। उसे लगा कि मुहम्मद साहब बदला लेने आए हैं, लेकिन जब मुहम्मद साहब ने उसका मिजाज पोशी की बात की और उसके इलाज का जिक्र किया तो महिला के आंखों में आंसू आ गए। महिला यहूदी थी, वह मुहम्मद साहब के इस मधुर व्यवहार को देखकर रो पड़ी और पैरों पर सिर रख दिया और ईमान ले आई।’