योगी सरकार ने सत्ता सँभालने के बाद प्रदेश में सामूहिक विवाह (samuhik vivah yojna) को सफल बनाने की मुहीम शुरू की थी. इसके लिए सरकार ने अधिक से अधिक जोड़ों को एक साथ विवाह के बंधन में बांधने की योजना को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन को निर्देश भी दिए थे. लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार की ये योजना अधिकारियों की उदासीनता की बलि चढ़ जाएगी.
गाजीपुर में दिक्कतों का करना पड़ा है सामना (samuhik vivah yojna)
गाजीपुर में जन जागृति के अभाव में योगी सरकार की महत्वांकाक्षी योजना सामूहिक विवाह जिले में फेल नजर आ रही है. समाज कल्याण विभाग बर्तन, कपड़ा, पायल, मोबाईल लेकर टेंट लगाने की आस में खड़ा है लेकिन अभी तक उसको दस जोड़ी वर-वधु नही मिलें जिससे की योगी सरकार के सपने को गाजीपुर के धरती पर उतारा जा सके. इसके लिए प्रशासनिक लापरवाही मानें या जनप्रतिनिधियों की उदासीनता लेकिन फ़िलहाल ये योजना अधर में लटकी हुई दिखाई दे रही है.
नहीं हो सकी अभी योजना की शुरुआत
समाज कल्याण अधिकारी जितेंद्र मोहन शुक्ल ने बताया कि इस योजना के लिए हमारे पास 1 करोड़ 66 लाख रूपये है, लेकिन आचार संहिता और खरमास लगने के कारण अभी तक कोई सामूहिक विवाह हम नहीं करा पाये है. सामूहिक विवाह में कम से कम दस जोड़े वर-वधू का विवाह होना अनिवार्य है. एक जोड़े वर-वधू के शादी के लिए सरकार ने कन्या के खाते में 20 हजार रूपया, पाचं हजार टेंट, दस हजार रूपये में कन्या के लिए मोबाईल, पायल, बर्तन, कपड़ा आदि का इंतजाम करना है.
सरकार ने दी थी अनुदान को स्वीकृति
एक जोड़े शादी के लिए कुल 35 हजार रूपये खर्च करने की शासन ने स्वीकृति दी है. इस संदर्भ में जिला पंचायत अध्यक्ष आशा यादव ने बताया कि हमने जिला पंचायत के सभी अधिकारियों, जिला पंचायत सदस्यों व ठेकेदारो से सामूहिक विवाह के बारें में अपने क्षेत्र के गरीब वर-वधूओं को बताने और उन्हे प्रोत्साहन देने की अपील की है. उन्होंने कहा कि एक सामूहिक विवाह में सरकार द्वारा निर्धारित धन राशि अगर कम पड़ेगी तो मैं व्यक्तिगत रूप से शेष धनराशि का सहयोग करूंगी. उन्होने सभी जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान से अपील की है कि सामूहिक विवाह बहुत ही पूण्य का कार्य है इसमें सारे लोग दलगत भावना से उठकर सहयोग करें. तमाम अपील और जागरूकता अभियान के बाद भी अबतक इस योजना की सफलता को लेकर कुछ कहना मुमकिन नहीं जान पड़ता है.
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