लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी प्राधिकरण के सिर्फ एक बाबू पर कार्रवाई करके अपनी-अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। जबकि हालात यह है कि वर्तमान में सबसे चर्चित बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा से भी बड़े-बड़े मगरमच्छ एलडीए के समंदर में बेपरवाह तैर रहे हैं। मुक्तेश्वर नाथ पर जहां तीन प्लाट के फर्जी समायोजन पर कार्रवाई हो गई वहीं काशीनाथ जैसे क्लर्कों के खिलाफ छह-छह प्लाटों के फर्जी समायोजन का न सिर्फ आरोप है बल्कि जांच भी करा ली गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रश्न यह है कि क्या सिर्फ एक ही कार्रवाई से सफाया हो गया।
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पूर्व विधायक की शिकायत पर हुई जांच
- मुक्तेश्वर नाथ के खिलाफ कार्रवाई के बाद काशीनाथ का नाम अपने आप एलडीए में चर्चा का विषय बना हुआ है।
- बीते 16 मई 2016 में लखीमपुर के तत्कालीन विधायक बीपी अवस्थी ने शिकायत की थी।
- शिकायत पर तत्कालीन एलडीए सचिव श्रीश चंद्र वर्मा ने काशीनाथ के खिलाफ जांच शुरू कराई थी।
- इस दौरान यह पाया गया था कि काशीनाथ ने परिवार के ही छह लोगों के नाम फर्जी समायोजन कराये थे।
- साथ ही समायोजन कराकर करीब 10 करोड़ रुपए के प्लाट अर्जित किए थे।
- यही नहीं तमाम भूखंडों के समायोजन व संपत्ति विभाग से की गई हेराफेरी की बात की गई। काशीनाथ अभी भी डंके की चोट पर एलडीए आ जा रहे हैं।
- इतने बड़े घोटाले के बाद भी काशीनाथ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है।
- मुक्तेश्वर नाथ के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद एलडीए से उम्मीद जगी है कि अब काशीनाथ जैसों को भी जेल का रास्ता दिखाया जाए।
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इन प्लाटों पर कब होगी कार्रवाई
- 4/952- गोमतीनगर विस्तार सेक्टर चार देवंती देवी (पत्नी) के नाम
- 4/285- गोमतीनगर विस्तार सेक्टर चार लालदेई (माता) के नाम आवंटित
- 1/154- विरामखंड गोमतीनगर राजेश (पुत्र) के नाम आवंटित
- 2/560- ए विकल्प खंड, गोमतीनगर देवेंती देवी के नाम आवंटित
- 1/55- विनय खंड गोमतीनगर कर्मचारी कोटे के अंतर्गत अपने भाई शिवधरी राम के नाम आवंटित
- 3/383- विवेक खंड गोमतीनगर कर्मचारी कोटे में आवंटित है।
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