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कानपुर: कॉलोनियों में बीच सड़क पर लगे अवैध गेट हटवाने में नाकाम नगर निगम

Municipal Corporation can't remove colony illegal gate

Municipal Corporation can't remove colony illegal gate

कानपुर के पॉश कहे जाने वाले इलाको में खूबसूरती भी है और सुरक्षा भी लेकिन क्या आप जानते हैं, कानपुर का स्मार्ट सिटी बनने का सपना पहली पायदान तक पहुंचने के बाद दो बार क्यों अधूरा रह गया?
सबसे बड़ी वजह नगर के वो पॉश इलाके हैं, जहाँ रसूखदारों की धमक के आगे स्मार्ट सिटी योजना के तहत काम कर रहे अधिकारी घुटने टेकने पर मजबूर हो जाते हैं. 

आरटीआई में हुआ खुलासा:

ऐसा ही खुलासा किया है शहर के नवीन नगर में रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता आशीष मिश्रा ने, जिन्होंने शहर के पॉश इलाको में लगे प्रवेश द्वार पर लगे लोहे के गेट पर आपत्ति जताई और यह साफ़ कर दिया कि यहाँ रहने वाले रसूखदारो का कब्ज़ा है. जिसकी अनुमति नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती.
लेकिन जब आशीष की रसूखदारों के आगे नहीं चली तो उन्होंने दिसंबर 2017 में आरटीआई का सहारा लेते हुए जानकारी हासिल करने का प्रयास किया. जिसमें कुछ समय बाद यह साफ़ कर दिया गया कि पॉश इलाकों में लगे लोहे के गेट कब्जे की श्रेणी में आते हैं. साथ ही अवैध कब्जे से मुक्त शहर को ही स्मार्ट सिटी का दर्जा दिया जाता है.

आदेश जारी होने पर भी कार्रवाई नहीं:

वहीं आशीष के प्रयास से अधिकारियों के कान भी खड़े हो गए और आरटीआई को संज्ञान में लेते हुए पाण्डु नगर मोहल्ले में लगे लोहे के गेट को हटाने का आदेश जारी कर दिया गया लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी.
इस बात से हैरान आशीष ने मुख्यमंत्री से लेकर प्रमुख सचिव और कानपुर के जिम्मेदार अधिकारियों की दहलीज के चक्कर लगानासही समझा. उसके बाउजूद रसूखदारों की हनक के आगे सब धरासायी साबित होता चला गया.
फिर भी हार न मानने वाले आशीष ने कानपुर के सभी पॉश इलाकों की तस्वीरें लेना शुरू किया. जहाँ हर मोहल्ले में अवैध लोहे के गेट लगें मिले.

दिन में भी बंद रहते हैं गेट:

साथ ही इन मौहल्लों के गेटों पर दिन में लगा ताला लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता नज़ आया. जिसकी वजह से कभी कभी एम्बुलेंस या इमरजेंसी वाहनों को घंटो इन्तजार करना पड़ता है.
हर एक विभाग का चक्कर लगा चुके आशीष ने थकहार कर मीडिया का सहारा लिया और हमारे सवांददाता ने जब आशीष के आरोपों की सच्चाई जाननी चाहि तो शहर के पॉश इलाकों का जायजा लेने पर हकीकत सामने आ गयी.
कानपुर शहर में लगे लोहे के गेट और उनमे लगे ताले से लोगों को कितनी समस्या का सामना करना पड़ता है, इसकी जानकारी नगर निगम के जोन 6 के जोनल अधिकारी अतुल कृष्ण सिंह से की गयी तो उन्होंने आशीष की आरटीआई को सही तो ठहराया.

नगर निगम अधिकारी का बेतुका जवाब:

लेकिन आरटीआई की परिभाषा का ज्ञान भी बताने लगे, जिसमें उनका कहना है कि आरटीआई सिर्फ जानकारी लेने का जरिया है, न कि उसको डालने के बाद किसी कार्रवाई के मुकाम को हासिल किया जा सकता है. अतुल कृष्ण के इस जवाब पर जब अवैध कब्जे के तहत लगे गेट पर जवाब माँगा गया तो उनकी बोलती बंद हो गयी और कार्रवाई का ठीकरा दूसरे अधिकारियों के सिर मढ़ने लगें.
वहीँ दूसरी तरफ पाण्डु नगर मोहल्ले में रहने वाले भाजपा नेता एवं नगर अध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी से इस सम्बन्ध में बात की गयी तो उन्होंने सफाई पेश करना शुरू कर दिया.
उन्होंने कहा कि जिन मोहल्ला समितियों ने सुरक्षा की दृष्टि से अनुमति लेकर गेट लगाए हैं वो तो सही हैं. लेकिन जहाँ पर अवैध रूप से कब्ज़ा किया गया है, उसपर कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन गेट दिन में बंद नहीं होने चाहिए.

नगर अध्यक्ष के घर के पास भी सड़कों पर गेट:

बता दें कि कानपुर नगर अध्यक्ष ने भी अपने घर के सामने की सड़क के दोनों छोर पर लोहे के गेट लगवाएं हैं और वहां के गेट भी सुरक्षा का हवाला देकर रात दिन बंद रहते है.
हालांकि मीडिया कि दखल अंदाजी से अधिकारियों ने आशीष की आरटीआई पर बैठक बुलाकर विचार विमर्श तो शुरू कर दिया है. लेकिन यहाँ दो बाते खुलकर सामने आयी हैं, जो किसी दवाब से कम नहीं.
जिनमें एक तो रसूखदारों के आगे अधिकारियों का झुकना और दूसरा जोनल अधिकारी अतुल कृष्ण का आरटीआई के प्रति बेतुकी सोच और बयान. 

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