नगर निगम की ओर से इंजीनियरिंग कॉलेज के निकट अतिक्रमण अभियान चलाये जाने के दौरान दो पटरी दुकानदार करंट लगने से झुलस गए। उनके बेहोश हो जाने पर उन्हें तत्काल केजीएमयू के ट्रामा सेंटर ले जाया गया। दुकानदारों की हालत नाजुक बतायी जा रही है। इस घटना के बाद पटरी दुकानदारों ने हंगामा किया। पुलिस कर्मियों से कहासुनी भी हुई। इसके बाद अभियान ठप हो गया।
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दोनों की हालत नाजुक
- नगर निगम जोन तीन के प्रवर्तन निरीक्षक सीएल पटेल की अगुवाई में इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे से अतिक्रमण अभियान चल रहा था।
- दस्ते के कर्मचारी आदर्श काम्प्लेक्स के पास अतिक्रमण हटा रहे थे।
- वहां से कुछ दूरी पर स्थित निशीथ प्लाजा के सामने ट्रांसफार्मर के बगल में जैनुल की जूस की दुकान है।
- दस्ते को आता देख दुकान में मौजूद जैनुल के पुत्र मन्नान व कर्मचारी अनिल सामान हटाने लगे।
- इस दौरान दुकान में लगी टीन हटाते वक्त वह ट्रांसफार्मर के तार से टकरा गई।
- इस वजह से तेज धमाका हुआ। तेज झटका लगने से 22 वर्षीय मन्नान व 20 साल के अनिल गिरकर बेहोश हो गए।
- यह हादसा होने पर अफरातफरी फैल गई। इसके बाद दस्ते के कर्मचारी वहां से चले गए।
- आनन-फानन में मौजूद लोगों की मदद से दोनों घायलों को ट्रामा सेन्टर भेजा गया।
- हादसे के बाद वहां काफी संख्या में आसपास के दुकानदार एकत्र हो गये और उन्होंने हंगामा किया।
- इस दौरान उनकी पुलिसकर्मियों से कहासुनी भी हुई।
- उन्होंने इसके लिए नगर निगम व स्थानीय पुलिस के साथ ही बिल्डरों को भी जिम्मेदार बताया।
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स्थानीय पुलिस की है मिलीभगत
- उनका आरोप था कि नगर निगम व स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से अतिक्रमण हो रहा है।
- अभियान के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है।
- कुछ दुकानदारों का आरोप था कि बिल्डर सुविधा शुल्क लेकर अवैध दुकानें लगवा रहे हैं।
- मामला बढ़ता देख इंस्पेक्टर मडिय़ांव राघवन सिंह व राम-राम बैंक चौकी इंचार्ज दीपक राय भी मौके पर पहुंच गए।
- आरोप लगे कि हादसे के लिये लेसा भी पूरी तरह से जिम्मेदार है।
- जूस विक्रेता ने ट्रांसफार्मर की जाली से लोहे का एंगल जोडक़र कब्जा कर रखा था।
- यहीं नहीं, ऊपर से 11 हजार वोल्ट की हाईटेंशन लाइन भी गुजर रही है।
- आदर्श काम्प्लेक्स के सामने लगे ट्रांसफार्मर के पास बिजली के तारों का मकडज़ाल है।
- उसके बगल में पेट्रोल पंप भी है।ऐसे में वहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
- आसपास काम्प्लेक्सों के सामने लगे ट्रांसफार्मर की आंड़ में भी दुकानदारों ने अस्थायी कब्जा कर रखा है।
- ऐसा नहीं है कि लेसा के जिम्मेदार इससे अंजान हैं।
- बावजूद इसके उन्होंने कभी भी अस्थायी कब्जों को हटवाने की कोशिश नहीं की।
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