यूपी के पूर्वांचल का कुख्यात डॉन प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई। आज पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में मुन्ना बजरंगी की पेशी होनी थी। मुन्ना बजरंगी को रविवार झांसी जेल से बागपत लाया गया था। उसे तन्हाई बैरक में कुख्यात सुनील राठी ओर विक्की सुंहेड़ा के साथ रखा गया था। उसकी जेल में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई। जेल में माफिया डॉन की हत्या से अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
जेल के भीतर हुई मुन्ना बजरंगी की हत्या से जेल प्रशासन पर कई सवालिया निशान उठने लगे हैं। विपक्षी पार्टियों ने जेल प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आखिर जेल में पिस्टल कैसे पहुंची। बताया जा रहा है कि मुन्ना के जेल के भीतर दो से तीन गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया गया। इस पूरे मामले में पुलिस के आलाअधिकारी, एसटीएफ, डॉग स्क्वॉड, फिंगर प्रिंट मौके पर पहुंचे और घटना की तफ्तीश में जुट गए। इस पूरे मामले में डीजीपी ने एडीजी को तलब कर पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट मांगी है। वहीं एडीजी जेल चंद्र प्रकाश ने कार्रवाई करते हुए जेलर और चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है।
माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की सोमवार को बागपत जेल में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी गई। पिछली 28 जून को राजधानी लखनऊ के यूपी प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता कर हत्या की आशंका जताई थी। मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह अपने पति की हत्या की साजिश का आरोप लगाते हुए प्रेसवार्ता की थी। उनके साथ मुन्ना बजरंगी के वकील विकास श्रीवास्तव भी मौजूद थे। सीमा सिंह ने अपने पति प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी को यूपी एसटीएफ और पुलिस के उच्चाधिकारियों द्वारा फर्जी एनकाउंटर में मारे जाने की बात कहते हुए बताया था कि उनके पति को कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों ने षड्यंत्र रच कर कई बार जान से मारने का प्रयास पहले भी किया है। इसके संबंध में उनके द्वारा तमाम जिम्मेदार अधिकारियों पर न्यायालयों में भी शिकायत की गई है।
न्यायालय तक नहीं भेजा जा रहा मेडिकल सर्टिफिकेट
सीमा ने बताया था कि कुछ भ्रष्ट तंत्र के व्यक्ति उनके पति को व्यक्तिगत लाभ के लिए फर्जी एनकाउंटर कराने की फिराक में हैं। उन्हें आशंका है कि कुछ सफेदपोश प्रभावशाली व्यक्ति उनके पति व परिवार के अन्य सदस्यों की षड्यंत्र रचकर हत्या करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में उनके पति झांसी जिला कारागार में निरुद्ध हैं। उनका इलाज न्यायालय के आदेशानुसार गठित एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टरों के बोर्ड द्वारा चल रहा है। डॉक्टरों द्वारा उन्हें यात्रा के लिए आश्वस्त घोषित किया गया है। परंतु नियम विरुद्ध तथा अवैध तरीके से एक ही दिन में तीन-तीन बार बाहरी डॉक्टरों के द्वारा उनका मेडिकल कराया जा रहा है। उन्हें जबरन स्वास्थ्य घोषित कर जेल से बाहर लाकर फर्जी एनकाउंटर का षड्यंत्र किया जा रहा है। जबकि डॉक्टर द्वारा दिया गया मेडिकल सर्टिफिकेट न्यायालय तक भी नहीं लाया जा रहा है।
निरीक्षक ने झांसी जाकर खाने में दिलवाया जहर
इसके अतिरिक्त एसटीएफ के उच्च अधिकारियों की सही पर 9 मार्च 2018 को कानपुर में तैनात निरीक्षक घनश्याम यादव झांसी जेल जाकर वहां के एक अन्य बंदी कमलेश को साथ मिलाकर उनके पति को खाने में जहर देने का षड्यंत्र भी किया गया। इसकी शिकायत इनके द्वारा विभिन्न न्यायालयों, मानवाधिकार, विभिन्न विभागों तथा प्रशासनिक अधिकारियों से की गई। जांच को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर एसटीएफ निरीक्षक घनश्याम यादव के जेल में आने तथा बंदी कमलेश से मिलने की पुष्टि हुई है। उक्त की न्यायिक जांच जनपद वाराणसी के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा की जा रही है।
एडवोकेट पुष्पजीत सिंह सहित कई लोगों की षड्यंत्र के तहत हो चुकी हत्या
सीमा सिंह द्वारा यह भी बताया गया कि उनके भाई पुष्पजीत सिंह एडवोकेट जो उनके पति के मुकदमे की पैरवी करते थे उनकी हत्या भी एक षड्यंत्र के तहत 5 मार्च 2016 को कर दी गई थी। इसमें 2 वर्षों तक जांच के नाम पर टालमटोल किया गया तथा उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप वह झूठे तथ्यों एवं साक्ष्यों के आधार पर उक्त मामले में अंतिम रिपोर्ट लगाते हुए नामजद अभियुक्तों को क्लीन चिट दे दी गई। इसके तुरंत बाद उनके अन्य शुभचिंतक मोहम्मद तारिक की हत्या 1 दिसंबर 2017 को अंधाधुंध फायरिंग करके करा दी गई। जिसकी जांच में भी टाल मटोल को हीला हवाली की जा रही है और आज तक पुलिस नामजद अभियुक्तों के घर की कुंडी तक नहीं खटखटा पाई।
अभियुक्तों और शूटरों को संरक्षण दे रहे एसटीएफ के अधिकारी
सीमा सिंह ने बताया कि मुझे यकीन है कि इन सभी घटनाओं के षड्यंत्र में एसटीएफ के उच्च अधिकारी संबंधित अभियुक्तों एवं शूटरों को संरक्षण दे रहे हैं तथा एसटीएफ के एक उच्च अधिकारी के संबंधित अभियुक्तों से पारिवारिक एवं करीबी रिश्ते भी हैं।