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बरेली: नगर निगम के सफाई कर्मचारियों की काम चोरी बनी गंदगी की वजह

nagar nigam safai karamchari not working properly made area dirty

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उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में स्वच्छ भारत अभियान का सपना फेल होता नजर आ रहा है. कई क्षेत्रों में नगर निगम के सफाई कर्मचारी नियुक्त होने के बाद भी वहां की अथाह गंदगी किसी से नहीं छिप पाती. कारण ये है कि नगर निगम के सफाई कर्मी सिर्फ सरकार से मोटी आय लेते हैं पर अपने क्षेत्र में सफाई करने नहीं जाते. वहीं सुपरवाइजर या विभाग का कोई और कर्मचारी इस बात पर जरा भी ध्यान नहीं देता.

क्षेत्र में गंदगी का अंबार:

बरेली में सफाई व्यवस्था फेल नजर आ रही है. स्थिति देखे तो वार्ड नंबर 25 तथा वार्ड नंबर 5 में पार्षदों में आपसी खींचतान मची है. इस कारण सफाई व्यवस्था फेल नजर आ रही है.

इतना ही नहीं क्षेत्रों में रोड के नाम पर ईंट के खडंजे ही मौजूद हैं, जबकि कई जिलों के गांवों तक की गली गली में सीसी रोड बन चुकी है.

पर बरेली जिला अभी तक इन मूलभूत सुविधाओं में पीछे चल रहा हैं.

यहीं कारण है कि जर्जर सड़कों और बेतहाशा गंदगी स्थानीय लोगों के लिए परेशानी पर बिमारी का कारण बन गयी है.

नगर निगम कर्मचारी नियुक्त पर नहीं आते काम पर:

जिले के अशोक नगर राजकुमारी इंटर कॉलेज वाली गली में तो सफाई कर्मचारी भी कार्यरत है जिसे नगर निगम की तरफ से रखा गया है.

लेकिन आज तक सफाई कर्मचारी कभी भी अपने क्षेत्र में सफाई करने नहीं आया.

खास बात ये है कि नगर निगम से उसकी आय तकरीबन 30 हजार रुपये है लेकिन काम के नाम पर पर कुछ नहीं करते.

सवाल ये उठता है कि सफाई कर्मचारी की इस काम चोरी के बारे में क्या नगर निगम अधिकारियों को नहीं पता?

सुपरवाइजर के साथ मिलीभगत का आरोप:

इसी के साथ इस मामले में सुपरवाइजर की मिलीभगत होने का आरोप भी लग रहा है.

मोहल्ले के लोगों ने निजी सफाई कर्मचारी तो लगवा रखा है लेकिन कूड़ा जैसे का तैसा क्षेत्र में पड़ा रहता है.

नालियां तो साफ़ निजी सफाई कर्मी साफ़ कर देते हैं पर उससे निकला कूड़ा नाली के किनारे सड़क पर ऐसे ही सड़ता रहता हैं.

अब सवाल बनता है कि क्या सुपरवाइजर का यह फर्ज नहीं बनता कि अपने इलाके में देख रेख रखें?

पर वे कभी क्षेत्र की जांच के लिए नहीं आते. गंदगी के कारण बच्चों में बीमारियाँ जल्दी फैलती है और जब क्षेत्र में हर वक्त ऐसे ही गंदगी का अंबार लगा हो तो सरकार का स्वच्छता अभियान तो व्यर्थ नजर आता ही है.

कर्मचारियों के रवैये से विभागीय कार्यशैली में लापरवाही भी उजागर हो रही हैं.

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