एक दर्जन से अधिक विभागों के साथ बैठक में फैसला हुआ कि पुणे की तर्ज पर अलग-अलग प्रॉजेक्ट्स के काम के लिए विभागों को जिम्मेदारी दी जाएगी।
- लखनऊ के अफसर टॉप 20 स्मार्ट सिटी में जगह न बना पाने के बाद स्मार्ट सिटी के फास्ट ट्रैक राउंड में हारना नहीं चाहते हैं।
- नगर निगम ने स्मार्ट सिटी पुणे की राह पर आगे बढ़ने का फैसला किया है।
- मंगलवार को एक दर्जन से ज्यादा विभागों के साथ हुई बैठक में नगर निगम प्रशासन ने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अलग-अलग प्रॉजेक्ट्स पर विभागों के साथ एमओयू करने का फैसला किया।
- नगर निगम में हुई बैठक में कंसल्टेंट और अधिकारियों ने विभागों को एमओयू के पेपर्स भी दिए।
पुणे की राह पर राजधानी:-
- पुणे म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने स्मार्ट सिटी मिशन में हर छोटे बड़े प्रॉजेक्ट पर काम करने के लिए एजेंसियों और विभागों से एग्रीमेंट कर रखा था।
- स्मार्ट सिटी मिशन में काम की जिम्मेदारी पहले से ही तय थी।
- पुणे स्मार्ट सिटी इसलिये प्रॉजेक्ट में सिलेक्ट हो गया।
- पहले नंबर पर रहे भुवनेश्वर ने भी इसी तरह के एग्रीमेंट किए थे।
- लखनऊ की अप्रेजल रिपोर्ट में खामियां गिनाते हुए केंद्र सरकार ने भी नगर निगम अफसरों को इसे सही करने के निर्देश दिए थे।
जितने प्रॉजेक्ट, उतने एग्रीमेंट:-
- लखनऊ में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत रेट्रोफिटिंग के लिए कैसरबाग हेरिटेज जोन और पैन सिटी डिवेलपमेंट के लिए पूरे शहर में काम किया जाना है।
- इसमें ई-गवर्नेंस और आईसीटी ( इंफॉरमेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नॉलजी), अर्बन मोबेलिटी, छतर मंजिल में कल्चरल एंड हेरिटेज सेंटर, रोशन-उद्-दौला कोठी में कम्युनिटी क्लब, ऐतिहासिक इमारतों की लाइटिंग, सिब्तैनाबाद इमामबाड़ा में टूरिस्ट इंफॉरमेशन सेंटर, एनर्जी इफीशिएंट स्ट्रीट लाइटिंग, स्मार्ट ग्रिड, स्लम्स के विकास कार्य, सीवेज, ड्रेनज एंड वाटर सप्लाई, अंडरग्राउंड केबलिंग और आधुनिक ट्रांसफॉर्मर, सिटी ब्रैंडिंग के प्रॉजेक्ट्स हैं।
- आईसीटी और ई-गवर्नेंस में स्मार्ट सिटी सर्विलांस सिस्टम, इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, बसों में स्मार्ट कार्ड स्मार्ट टिकटिंग और लखनऊ स्मार्ट सिटी एप का काम होना है।
- इसके साथ ही स्मार्ट बस शेल्टर्स, स्मार्ट पार्किंग, मल्टीलेवल पार्किंग, कम्युनिटी टॉयलेट, वेस्ट वाटर प्रोजेक्ट, पार्कों, सड़कों, गलियों की मरम्मत और सौंदर्यीकरण के काम कराए जाने हैं।
इन विभागों से होगा एमओयू:-
- अपर नगर आयुक्त पीके श्रीवास्तव ने बाताया कि एलडीए, ट्रैफिक, लेसा, टाउन प्लानिंग, परिवहन निगम, एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई, जल निगम, गोमती प्रदूषण नियंत्रण ईकाई, राज्य पुरातत्व, एएसआई, आवास एवं विकास, पर्यटन विभाग, डूडा, ग्रीन गैस सहित दूसरी जरूरी एजेंसियों से एमओयू किया जाएगा।
- एमओयू लिए विभागों को निर्देश दिए जा चुके हैं।
एमओयू से यह फायदा:-
- स्मार्ट सिटी के चैलेंज राउंड में राजधानी के मार्क्स कटने का एक प्रमुख कारण यह भी था।
- 74वां संविधान संशोधन न लागू होने से बहुत से काम शहर के दूसरे डिपार्टमेंट्स को करने हैं।
- यह विभाग नगर निगम के तहत नहीं आते, जबकि केंद्र सरकार ने नगर निगम को प्रॉजेक्ट के लिए नोडल एजेंसी नामित किया है।
- एमओयू से यह साफ हो सकेगा कि नगर निगम के साथ प्रॉजेक्ट में काम करने के लिए विभाग पहले से तैयार हैं।
- इससे आर्थिक मदद और प्ररॅजेक्ट की कंपनी का काम आसान होगा।