सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल परिसर में नमाज़ पढने की याचिका को खारिज कर दिया है. ताज महल परिसर में सिर्फ आगरा के मुसलमानों को नमाज़ अदा करने की इजाज़त है. लेकिन कुछ बाहरी लोग भी वहां नमाज़ करने आ जाया करते है. 

उच्चतम अदालत ने ताजमहल परिसर में नमाज़ पढने की मांग पर कहा कि ताजमहल दुनिया के सातवें अजूबों में से एक है, इसलिए यह ध्यान रखना होगा कि इसके परिसर में नमाज़ पढ़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने यह भी कहा, ‘यहां कई और जगह हैं, जहां नमाज़ पढ़ी जा सकती है, फिर ताजमहल परिसर ही क्यों?’

यहां कई और जगह हैं, जहां नमाज़ पढ़ी जा सकती है:

मालूम हो ताजमहल में आगरा के मुसलमानों को जुम्मे की नमाज़ करने की इजाज़त है. लेकिन कई बार उनके साथ बाहरी लोग भी नमाज़ पढने आ जाया करते हैं.

आगरा मजिस्ट्रेट की ओर से जारी निर्देश के अनुसार, ताजमहल परिसर में किसी बाहरी व्यक्ति को नमाज अदा करने की अनुमति नहीं है. केवल स्थानीय लोग नमाज अदा करने के लिए ताजमहल परिसर में जा सकते हैं. लेकिन फिर भी इसका उल्लंघन बार बार किया जा रहा था.

आगरा मजिस्‍ट्रेट के आदेश के खिलाफ कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति ने अक्टूबर 2017 में ताजमहल में होने वाली नमाज़ पर रोक लगाने की मांग की थी. समिति ने अपनी मांग में कहा था किताजमहल एक राष्ट्रीय धरोहर है. ऐसे में मुसलमानों को इसे धार्मिक स्थल के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत क्यों दी गई है? अगर परिसर में नमाज़ पढ़ने की इजाजत है, तो हिंदुओं को भी शिव चालीसा का पाठ करने दिया जाए.

आगरा मजिस्‍ट्रेट के आदेश के खिलाफ करी गयी इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है. ताजमहल एक ऐतिहासिक धरोहर है, ताजमहल परिसर में सिर्फ आगरा के लोग ही नमाज़ अदा कर सकते हैं.

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