प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने अपने विचारों से न सिर्फ लोगों का दिल जीता है बल्कि लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दी है. प्रेरणा देने के साथ ही प्रधानमंत्री ने लोगों के लिए नए रास्ते खोलने का कम भी किया है. जिसके तहत उनहोंने स्टार्टप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी योजनायें भी शरू की हैं. प्रधानमंत्री की इन योजनाओं का असर अब उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी दिखने लगा है. जहाँ एक ग्रेज्युएट छात्रा शिखा शाह नगर निगम के कचड़े से काशी के हर घर को सवारने की कोशिश कर रही है.
कचड़े को अपसाइकिल कर तैयार होती हैं खूबसुरत औऱ उपयोगी चीजों-
- वाराणसी की शिखा पीएम मोदी के आईडियाज की दिवानी है.
- शिखा नगर निगम के कचड़े से काशी के हर घर को सवारने की कोशिश कर रही है.
- यही नही कचड़े को अपसाइकिल कर तैयार हुई उनकी चीजें न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी बेहद पसंद की जा रही हैं.
- जिसके लिए फेसबुक और स्नैपडील जैसे साइट का सहारा भी लिए जाता है.
- शिखा का कहना है कि मोदी के स्टार्टप इंडिया के वीजन ने भारत के शहर से लेकर गांव में रहनेकाशी वालें लोगों की सोच को बदल कर रख दिया है.
- शिक्षा की माने तो पहले भारत के 80 प्रतिशत अभिभावक स्टार्टअप का नाम तक नहीं जानते थे.
- लेकिन आज वे स्टार्टअप और मेकइंडिया को बखूबी समझने लगे है.
- जिसके बाद वो अपने बच्चों के सपने को साकार करने में पूरा सहयोग कर रहे है.
- बात दें की शिखा ने इनवारमेंटल साइंस से ग्रेजुएशन करने के बाद नौकरी शुरु की थी.
- जिसके बाद उन्होंने बड़ी कम्पनी में काम भी किया.
- लेकिन वहां उन्हें अपना सपना पूरा होता नहीं दिखा.
- जिसके बाद वो लाखों रुपये की नौकरी को लात मार कर अपनी माँ के पास आ गईं.
- जहाँ वो अब शहर के कचड़े से अपना और अपनी मां के साथ ही तमाम बेरोजगारों का जीवन सवांरने की कोशिश कर रही है.
- अपने बिजनेस के माध्यम से शिखा ने न केवल समाज को स्वच्छता का संदेश दिया बल्कि बेरोजगारों और हुनरमंदों को रोज़गार के नये रास्ते तलाशने की प्रेरणा भी दी है.
गंदगी वाले स्थानों को पेंटिंग से सवारती हैं शिखा-
- शिखा शहर के तमाम गंदगी और कचड़े से बजबजाते स्थान को अपनी पेंटिग से सवार रही हैं.
- शिखा का कहनाहै जो जब ऐसी करने निकलती हैं तो स्थानिय लोग भी उनके साथ जुड़ जाते हैं.
- उनके साथ जुड़े कारीगर मुरारी कहते है कि कमाते तो पहले भी थे
- लेकिन उस कमाई से दोनो टाइम का भोजन भी नहीं हो पाता था.
- परन्तु आज वे इस कचड़े को सवार कर अपने परिवार की जीवन बहोत अच्छे से सवार रहे है.
- इसी के शीला जो पहले कुर्सी और चारपाई बिनने का काम करती थी.
- वे अब पुराने टायर को बिन कर उसे कुर्सी की तरह बना कर अच्छा पैसा कमाने लगी है.
- शीला का कहना है की वो इस काम से बेहद खुश है.
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